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(३) प्रातः भ्रमण
शौच तथा कुल्ला से निवृत्ति के पश्चात प्रातःभ्रमण करें। ऐसी जगह टहलें जहाँ वातावरण में धूल, धुंआ न हो। इस भ्रमण में थोड़ा तेज गति से चलें तथा अपनी क्षमता के अनुर। सौधे रहकर दो से पांच किलोमीटर तक टहलें। इतना ध्यान रखें कि इतना टहलना ज्यादा न हो कि लौटकर थकान महसूस करें। यदि आप दो किलोमीटर भी नहीं चल पाएं, तो अपने क्षमतानुसार टहलें।।
उच्च रक्तचाप एवम् हृदय रोग से पीड़ित तेज गति से नहीं, बल्कि धीरे-धीरे टहलें। इन व्यक्तियों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे जाड़े की ऋतु में अधिक ठंड की दशा में प्रातः भ्रमण न करें, किन्तु दोपहरादि समय में टहल सकते हैं। (४) प्राणायाम शब्दावली - पूरक - श्वास अन्दर लेना
कुम्भक - श्वास को अन्दर रोककर रखना रेचक - . श्वास को बाहर छोड़ना
बाह्य कुम्भक - श्वास को बाहर ही रोककर रखना प्राण का आयाम (नियन्त्रण) ही प्राणायाम है। इससे इन्द्रियों एवम् मन के दोष दूर करने में सहायता मिलती है। नियम(१) प्राणायाम शुद्ध सात्विक निर्मल स्थान पर करना चाहिए। यदि प्रदूषण वातावरण
में ही करना हो, तो वहाँ पहले घृत व गुग्गुलादि से उस स्थान को सुगन्धित करें। श्वास सदा नसिका से ही लेना चाहिए। इससे श्वास फिल्टर होकर अन्दर
आता है और विजातीय तत्त्व नासा छिद्रों में ही रुक जाते हैं। (३) प्राणायाम करने का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल शौचादि से निवृत्त होकर
योगासनों से पूर्व का है। यदि अन्य समय करना हो, तो भोजन से कम से कम चार-पाँच घंटे पूर्व करना चाहिए।