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________________ भाग (रत्न पध्वी ) मीम | मनः (५) व्यन्तर लोक विवरण/ | किन्नर | किम्पुरूष | महोरग | गन्धर्व | यक्ष | राक्षस भूत । पिशाच प्रकार स्थान पृथ्वी के | पृथ्वी के | पृथ्वी के | पृथ्वी के | पृथ्वी खर | पृथ्वी के ऊपर ऊपर ऊपर | ऊपर भाग ऊपर ऊपर (रत्न प्रभा प्रभा पृथ्वी) वर्ण पिलांडगु ! सुना | शुद्ध | काल | शुद्ध | काल कज्जल सदृश सदृश श्यामल सुवर्ण श्याम श्यामल सदृश सदृश वर्ण दक्षिणेन्द्र किम्युरुष सत्पुरुष | महाकाय गीतरति , माणि स्वरूप । काल भद्र उत्तरेन्द्र किन्नर | महापुरूष | अतिकाय | गीतयशा पूर्णभद्र | महाभीम | प्रतिरूप महाकाल | व्यन्तर देवों के | अजनक वज- सुवर्ण वज | रजत | हिंगुलक | क| हरिताल आश्रय रूप धातुक शिलक द्वीपों के नाम भवनों की ० ० | १६,००० | १४,००० संख्या निवास भवन रत्नप्रभा पृथ्वी में, भवनपुर द्वीप समुद्रो के ऊपर और आवास द्रह (तालाब) एवं पर्वतादिकों के ऊपर होते हैं। इन्द्रों के | प्रतीन्द्र-१, सामानिक देव- ४,०००, तनुरक्षक- १६.०००, आभ्यन्तर पारिषद- ८,०००, परिवार देव मध्यम पारिषद- १०,०००, वाहृय पारिषद- १२,०००, सात सेनायें हाथी-घोड़ा-पदाति-रथ- गन्धर्व- नर्तक-बैल- प्रत्येक ३५.५६,००० - २,४८.६२,००० प्रकीर्णक-प्रमाण प्राप्त नहीं है. आभियोग्य देव- प्रमाण प्राप्त नहीं है। आयु उत्कृष्ट- एक पल्य प्रमाण, मध्यम- असंख्यात वर्ष, जघन्य- १०.००० वर्ष उत्सेध | दस धनुष प्रमाण (ऊँचाई) व्यन्तर देवों | जगत्प्रतर + (३०० योजन) का प्रमाण आयु बन्धक भवनवासी देवों के समान परिणाम, सम्यग्दर्शन ग्रहण करने के कारण १.२३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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