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तत्पश्चात् वायु मुख्य श्वासनली Trachea में आती है जो लगभग ४ इंच लम्बा वायु का पाइप होता है। फिर वायु Trachea के द्वारा फेंफड़ों में प्रविष्ट होती है (चित्र २.३४), जहा Trachea दो भागों में विभक्त हो जाती है। इस Trachea में भी Mucous membrane होते हैं जो ciliated epithelium और gcblstec के बने होते हैं। इसके द्वारा भी वायु से धूल व विजातीय पदार्थ अलग किये जाते हैं। Trachea के दो भाग Bronchi कहलाते हैं, ये फेंफड़े के जड़ तक जाते हैं और उनके शाखाओं में बँट जाते
हैं।
दाँया फेंफडा तीन भागों (Lobes) - ऊपरी, मध्य व निचला Lobe में बँटा होता है । बाँया फेंफड़ा केवल दो भागों (Lobes) ऊपरी व निचला भागों में बँटा होता है, क्योंकि कुछ स्थान हृदय को अवस्थित करने के लिए आवश्यक होता है । ये दोनों फेंफड़े एक शंकु की शक्ल के होते हैं ।
प्रत्येक Bronchi अनेक छोटे-छोटे भागों में विभक्त हो जाती है जो Bronchioles कहलाते हैं। ये Bronchioles (फुफ्फसपालिका) छोटे-छोटे वायु के Space जो Alveoli (फुफ्फस कूपिका) कहलाते हैं, उनके समूह ( Cluster) से सम्बद्ध होते हैं। इन Alveoli को Air sac भी कहते हैं जो अति सूक्ष्म (Microscopic ) होते हैं। इनकी बहुत पतली झिल्ली होती है। यह Allveoli रक्त की तंग नलियों (Capillaries) से चारों ओर घिरी रहती हैं। देखिये चित्र संख्या २.४० । यहाँ ऑक्सीजन का दबाव १०० - ११० मिलीमीटर पारा (Mercury) समतुल्य होता है, बाहर शिरा रुधिर में ४० मि० मी० दाब होता है, इस कारण वायु की ऑक्सीजन (Oxygen) बाहर निकल कर रक्त के साथ मिलकर उसके (रक्त के) लाल कोणों में विद्यमान Pigmented Protein Haemoglobin, Oxyhaemoglobin बन जाते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड का दाब रुधिर में ४७ मि० मी० और वायु कूपिका में ४० मि०मी० होता है, इस कारण कार्बन डाइआक्साइड बाहर आ जाती है। इस प्रकार अशुद्ध रक्त का शुद्धीकरण पूर्ण होकर शुद्ध रक्त शरीर की कोशिकाओं को जाता है। यह श्वसन प्रक्रिया बाह्य श्वसन (external respiration) कहलाती है। इसको Pulmonary respiration ( फैफड़ों का श्वसन) भी कहते हैं ।
दोनों फेंफड़े एक छाती के पिंजरे (Thoracic Cage) के अन्दर अवस्थित होते हैं, जो इनके बाह्य आघात ( Shock) आदि से रक्षा करता है। देखिये चित्र २.३६ |
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