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अंडाशय
Ovary
चित्र २.३१
अखरोट
शक्ल
अंडाशय में काफी तादाद में अपरिपक्व अण्डे (डिम्ब) होते हैं, जो कई nutritive follicile cells के cluster से घिरे होते हैं। प्रत्येक मासिक चक्र पर, इनमें से एक डिम्ब परिपक्व होकर एक vascular ovarian follicile (Graafian follicle) में विकसित हो जाता है । इस समय, यह अंडाशय से बाहर निकलता है और Oestrogens का स्त्रावण होता है। डिम्ब और तरल (fluid) अन्तत: uterine tube में जाते हैं। प्रत्येक | २८ दिनों में एक डिम्ब पूरी तौर पर परिपक्व होकर निकलता है, लगभग चौदहवें दिन । यदि इस डिम्ब का शुक्राणु से ट्यूब समागम हो जाता है, तो यह गर्भ के रूप में विकसित होता (uterine है, अन्यथा यह नष्ट होकर बाहर निकल जाता है। अंडाशय के तीन कार्य होते हैं :
यूटैरीन
or
fallopia n tube)
१. डिम्ब का निर्माण, जिसका वर्णन ऊपर दिया है। २. Destrogens का निर्माण, यह मासिक स्त्राव का नियंत्रण करते हैं।
के नीचे
के दो
ग्लैंड
गर्भाशय
( uterus)
के दोनों
ओर
३. Progesterone का निर्माण, यह भी मासिक स्त्राव का नियंत्रण करते हैं।
इस सम्बन्ध में (२) पीयूष ग्रंथि (Pituatary gland) के हार्मोन्स उक्त क्रम संख्या २ (iv) (a) (b) (c) के अन्तर्गत वर्णन का भी सन्दर्भ करलें। Oestrogens का स्त्रवण बचपन से ही होता है, जब तक मासिक धर्म बन्द नहीं हो जाता (menopause तक) | यह Follicular harmones कहलाते हैं। इनसे स्त्री के जननाङ्गों का विकास होता है और स्त्रियोचित शारीरिक और मानसिक गुणो ( qualities) के विकास और उनके अनुरक्षण में सहायक होते हैं।
Progesterone Oestrogen के कार्य के आगे बढ़ता है और मासिक धर्म को रोकता है। ये गर्भ के हार्मोन्स भी कहलाते हैं, क्योंकि ये गर्भाशय की श्लेष्मा झिल्ली में होने वाले नियतकालिक परिवर्तनों का नियंत्रण करती हैं जो सगर्भता से पूर्व होते हैं।
४० - ५० वर्ष की आयु में अण्डाशयों का अन्तः स्त्रावी प्रकार्य धीरे-धीरे बन्द हो जाता है। इस समय रजोधर्म बन्द हो जाता है तथा अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों में परिवर्तन होते हैं। इसे उमदवचनेम मैनोपौजद्ध कहते हैं। इस समय तंत्रिका उत्तेज्यता में वृद्धि, सिरदर्द तथा कभी-कभी अनिद्रा आदि होते हैं।
२.४०