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________________ |६-६ | यौन ग्रंथियाँ Gonado- trophic glands ये वे अंग । ये ग्रंथियाँ लिङ्ग हार्मोन्स बनाती हैं जो पीयूष ग्रंथि हैं, जिनमें | रुधिर में प्रवेश कर जाती हैं। ये अनेक | (Pituary Gland) जनन प्रकार के कार्य करती हैं। उदहारण के Gonadotrophic कोशिकायें तौर पर जीव की यौन परिपक्वता लिंग | glands ग्रंथियों के विकास एवम् लिंग हार्मोन | नामेन हार्मोन्स बनती हैं। का | नियंत्रण करते हैं के स्त्रावण से सम्बन्धित है। यौन परिपक्वता से आशय है प्राथमिक तथा सहायक लिंग विशेषताओं के साथ प्रगट होना ; ये १२ से १८ वर्ष की आयु में होता है। ये ग्रंथियाँ शरीर की गर्मी को संतुलित रखती हैं और विरूद्ध सैक्स वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षण करती हैं। यह अच्छा स्वास्थ्य रखने कसा करती हैं। यदि यह ग्रंथि ठीक प्रकार से कार्य न करें तो वासना, क्रोध, स्वार्थ भावना आदि व अन्य मनोवैज्ञानिक । मानसिक (psychological) दोष पैदा करती हैं। सन्तान होने की सम्भावना घटती है। प्रसूति के बाद या बंध्यीकरण के पश्चात् इन ग्रंथियों में गड़बड़ी होने की सम्भावना रहती है। ऐसा होने पर शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है। शरीर को बेडौल होने से रोकने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था में और प्रसूति के बाद इन ग्रंथियों पर उचित व नियमित उपचार लेना चाहिए। इन | ग्रंथियों से हार्मोन्स रिसता है. अतः यदि ये ठीक से काम नहीं करतीं . तो मासिक धर्म बन्द (menopause) होने के समय छोटी-बड़ी तकलीफें खड़ी हो जाती हैं या रोग होते हैं।कभी-कभी यौन व्यवहार में रुचि कम हो जाने पर | जीवन शुष्क सा बन जाता है। २.३९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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