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________________ pressure) होते हैं, जो साधारणत: १२० और ८० होते हैं। यह माप पारे का मिलीमीटर के समतुल्य दबाव (millimeters of mercuric equivalent pressure) बताता है। Systolic pressure वृद्धावस्था में (६०+उम्र) हो सकता है। इस दबाव के अत्याधिक बढ़ जाने से नस फट जाती हैं और पक्षाघात (लकवा) हो सकता है। यदि मस्तिष्क में नस फट जाए, तो रक्तस्त्राव के पश्चात् रक्त का Clot (थक्का) बन जाने के द्वारा मृत्यु तक हो सकती है। Dialostic pressure सामान्यतः ६० से अधिक अथवा ७० से कम नहीं होना चाहिए। इसका अधिक होना इस बात का प्रतीक है कि हृदय को दो धड़कनों के बीच में उपयुक्त आग नहीं मिल रहा है। ७० से कम होने पर sinking effect होता है, अर्थात् व्यक्ति को यह महसूस होता है कि डूबा सा जा रहा है। इस प्रैशर के ज्यादा कम होने पर मृत्यु हो जाती है। अध्यायाय - ६ प्रतिरक्षात्मक तंत्र - Immune System (क) लिम्फ सिस्टम (Lymph System ) हमारे शरीर में एक व्यवस्थित रक्षण-तंत्र भी हैं। इस तंत्र में श्वेत. कण (WBC) उत्पन्न होते हैं। वे रोग-प्रतिरोधक द्रव्य उत्पन्न करके शरीर का रक्षण करते हैं। कुछ रुधिर का द्रव्य रक्त नलियों से रिस (seep) जाता है। यह द्रव्य जो लिम्फ (Lymph) कहलाता है, आसपास के कोषिकाओं को नहलाकर वापस रक्त नलियों में आ जाता है, अथवा लिम्फ चैनलों (Lymph channels) में चला जाता है। देखिए चित्र २.२३ लिम्फ लिम्फ नोड (Lymph node) अथवा लिम्फ ग्रन्थि (Lymph gland) में इकट्ठा होता है, जहाँ वह छाना जाता है। लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes), जो एक विशेष प्रकार के श्वेत रक्त के कण (cells) होते हैं, वे उत्पन्न हो जाते हैं जो विशेष तौर पर रोग- कीटाणुओं का प्रतिकार करते हैं। यह Lymphocytes अस्थि-मज्जा अथवा बोन मैरो (bone-marrow) भी बनाते हैं, तथा प्लीहा (Spleen) में यह Lymphocytes स्टोर (Store) किये जाते हैं, तथा निर्माण भी किये जाते हैं। २.३२
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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