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होता है। पुतलियों के स्नायु फोकस (Focus) का काम करते हैं। दृष्टिपटल (Retina) आँख का भीतरी पटल है जिसमें एक करोड़ बह: लाख कोशिकायें (Cells) होते हैं। उसके साथ अनेक ज्ञान-तंतु जुड़े होते हैं। जब उस पर प्रकाश पड़ता है, तब उसके भीतर सूक्ष्म-दंडाकृति (Rods) तथा शंखु-आकृति (Conical) कोष द्वारा उसका संचालन होता है। शंकु {cones) रंग पहचानता है, जब कि दण्ड (rods) हमें अंधेरे में देखने में मदद करते हैं।
दृष्टि चेता {optic nerve) द्वारा आँख को मस्तिष्क से चेतना मिलती है। तथा यही दृष्टि चेता जो किसी पदार्थ की उल्टी छवि (image) रैटीना पर बनती है, उसको ज्यों का त्यों मस्तिष्क तक पहुँचा देती है। मस्तिष्क उसका विश्लेषण करते समय उसको सीधी छवि कुल ही करता है। जागृत वा में आँखें एक मिनट में १५ से अधिक बार झपकती हैं।
आँखों में एक आँसू निकलने की नलिका (duct) होती है। यह आँसू जिनमें Lysozyme chemical (लाइसोज़ाइम) होता है, उससे बैक्टीरिया मरते हैं तथा आँखों को साफ, नम तथा रोगमुक्त रखता है।
नेत्रों की संरचना के लिए चित्र २.१४ का अवलोकन करिए। श्रवण – संवेदन Hearing-Ears
आवाज के कारण वायु का स्पन्दन (vibration) होता है। इन स्पन्दनों के कारण हलन-चलन की प्रक्रिया बाह्य श्रोत्रेन्द्रय से लेकर आभ्यन्तर श्रोत्रेन्द्रिय तक चलती है।
मध्य कर्ण के अन्तर्गत तीन छोटी-छोटी हड्डियाँ होती है : hammer (malleus), anvil (incus) और stirrup (stapes) | मध्य कर्ण पटल (ear drum) के अन्तर्गत एक Eustachian tube द्वारा वायु का दबाव नियन्त्रित होता है, जो मध्य कर्ण का गले से सम्बन्ध (link) बनाती है। श्रवण नलिका की लम्बाई ३.५ से ४ सैंटीमीटर तक होती हैं। अन्दरूनी कान अथवा आभ्यान्तर कर्णेन्द्रिय (the labyrinth) में आवाज को पहचानने वाले cochlea (श्रवण तंत्रिका) और तीन
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