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________________ परिशिष्ट ११० (क) मुत्यु से पूर्व होने वाले लक्षण मुत्यु से कुछ समय पूर्व शरीर की स्थिति बनाये रखने वाले परमाणुओं में विपर्यास आ जाता है जिससे उसकी इन्द्रिय शक्ति क्षीण हो जाती है और शरीर संघटित परमाणु विघटित होने की ओर अग्रसार होने लगते हैं। सब धर्य और स्मृति में न्यूनता आने लगती है। यही प्रक्रिया शारीरिक अरिष्टों की सूचक है। अब “भणियं पिण्डस्थं जिणमयणुसारेण" जिनेन्द्र देव के उपदेशानुसार पिण्डस्थ शारीरिक रिष्टों द्वारा आयु निर्णय के कुछ प्रयोग का दिग्दर्शन करते हैं। यथा :(क) अरिष्ट लक्षण कितने समय पूर्व लक्षण तीन वर्ष पैर न दिखाई दें। २. दो वर्ष जंघा न दिखाई दे। एक वर्ष घुटना न दिखाई दे। दस माह वक्षस्थल न दिखाई दे। सात माह कटि प्रदेश न दिखाई दे। चार माह कुक्षि न दिखाई दे। धैर्य और स्मृति नष्ट हो जाये। चलने में असमर्थ हो जाये, निद्रा बिलकुल न आवे या अत्यन्त आने लगे। ७. एक माह एकाएक मोटे से पतला हो जाये या पतले से मोटा हो जाये, स्थिर होने पर भी काँपता रहे, अपना हाथ सिर पर रखकर सोवे. गले में डालने पर जिसकी उँगलियों का दृढ़ बन्धन न हो, जो दूसरों के केशों ॐ * १.२५४
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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