SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 265
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नोट- साधकों को चाहिए कि वे इस सम्बन्ध में भगवती आराधना, रत्नकाण्सु श्रावकाचार आदि ग्रन्थों से विस्तार से अध्ययन करें। सन्दर्भः बृहज्जिनवाणी संग्रह में प्रकाशित उमास्वामीकृत तत्त्वार्थ सूत्र (मोक्ष शास्त्र) (२) भगवती आराधना- विरचित श्री शिवकोटि आचार्य (शिष्य समन्तभद्राचार्य) रत्नकाण्ड श्रावकाचार-- विरचित श्री समन्तभद्राचार्य . सल्लेखना दर्शन पुस्तक में प्रकाशित "सल्लेखनाः वीतरागता की कसौटी "लेख -लेखक पूज्य आचार्य श्री १०८ विद्यानन्द जी महाराज। समाधि दीपक- सम्पादिका श्री १०५ आर्यिका विशुद्धमती जी सल्लेखना दर्शन पुस्तक में प्रकाशित "रत्नत्रयस्वरूप मोक्षमार्ग में सल्लेखना का महत्व" लेख – लेखक डा० सुपार्श्वकुमार जैन। सल्लेखना दर्शन पुस्तक में प्रकाशित डा० श्रीमती उर्मिला जैन, बड़ौत का "अनुप्रेक्षा, ध्यान एवं सल्लेखना" नामक लेख। (८) सल्लेखना दर्शन पुस्तक में डा० जय कुमार जैन, मुजफरनगर का "तत्त्वार्थ सूत्र और उसके टीका ग्रन्थों में सल्लेखना" नामक लेख । (६) सल्लेखना दर्शन पुस्तक में डा० अशोक कुमार जैन, लाडनूं (राजस्थान) का "श्रावकाचारों में सल्लेखना की अवधारणा” नामक लेख। १.२५३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy