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________________ - १- २- पंडित पंडित मरण पंडित मरण बाल पंडित मरण - केवली भगवान का निर्वाण गमन 1 आचारांग की आज्ञाप्रमाण यथोक्तचारित्र के धारक साधु मुनि का सल्लेखनापूर्वक मरण। विरताविरत अथवा देशव्रत सहित श्रावक का सूत्र की अपेक्षा सल्लेखनापूर्वक मरण। अविरत सम्यग्दृष्टि का व्रत संयम रहित केवल तत्त्वनिकी श्रद्धाकरि सहित मरण । नियादृषि का रण : . बाल मरण - अविरत समय - बाल-बालम (७) गति पंडित पंडित मरण पंडित मरण-- (ये तीन प्रकार का है-- भक्त प्रत्याख्यान. इंगिनी एवम् प्रायोपगमन मरण) बाल पंडित मरण निर्वाण प्राप्ति वैमानिक देव (कल्पवासी)/अहमिन्द्र। स्वर्ग के इन्द्र, लौकान्तिक देव- मोक्ष प्राप्ति तीन भव, अधिक से अधिक सात-आठ भव में। स्वर्ग निवासी वैमानिक देव । समाधि मरण के प्रभाव से उत्कृष्टताकरि सप्तम भव विषै सिद्ध होय है। (भगवती आराधना-गाथा २०६५) मरण के समय के अनुसारअधिकतम अर्ध पुद्गल परावर्तन काल (देखिए परिशिष्ट १.०४) में निर्वाण प्राप्ति। - अनन्तकालीन (अन्तहीन) संसार भ्रमण| बाल मरण (रत्नत्रय से भ्रष्ट साधु का मरण इसमें सम्मिलित है) बाल बाल मरण १.२५०
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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