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समय में एक-एक रोम खण्ड को निकालने पर जितने समय में वह गड्ढा रिक्त होता है, उतने काल को अद्धार या अद्धा पल्योपम कहते हैं ।
.. अद्धार पल्य अथवा अद्धा पल्य की रोम राशि
उद्धार पल्योपम की रोमराशि x असंख्यात वर्ष के समय प्रमाण गणना
=
तब, अद्धार पल्य या अद्धा पल्य
( प
समय: समय
=
असंख्यात करोड़ वर्ष के समय प्रमाण गणना ) x असंख्यात वर्ष के
=
( प x असंख्यात करोड़ वर्ष के समय ) x असंख्यात वर्ष
और अद्धार सागरोपन का अद्धा सागर
= 10 कोड़ा कोड़ी अद्धा पल्योपम
इस अद्धा पल्य से जीवों की कर्मों की स्थिति का प्रमाण लगाया जाता है।
सूच्यंगुल और जगच्छ्रेणी का लक्षण
अद्धा पल्य के जितने अर्धच्छेद (Logarithm to the base 2) हों, उतनी जगह पल्य को रखकर परस्पर गुणा करने से सूच्यंगुल प्राप्त होता है। इस विधि से
Log2 अद्धापल्य
सूच्यंगुल = (अद्धा पल्य)
एक प्रमाणागुल लम्बे और एक प्रदेश चौड़े ऊँचे आकाश में सूच्यंगुल के बराबर प्रदेश होते है ।
सूच्यंगुल के वर्ग को प्रतरांगुल तथा सूच्यंगुल के घन को घनांगुल कहते हैं I
नोट- किसी राशि का जितने बार आधा-आधा करने से अवशेष १ रह जाए तब जितनी बार आधा-आधा किया जाय उस संख्या को उस राशि का अर्द्धच्छेद कहते है। जैसे ३२ का अर्धच्छेद ५ होता है। इस प्रकार ३२-२' और Log, ३२:= ५ हुआ | Log का पूरा form Logarithm (लौगरिथ्म) होता है।
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