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विवरण /
नरक
जीवों की
संख्या
(जगच्छ्रेणी) x घनांगुल
का दूसरा वर्गमूल
(उत्कृष्ट
संख्या का
प्रमाण)
नरक जाने
वाले जीव
(तक)
नरक
निकलकर
कहाँ जन्म
लेता है
से
नरक से निकलकर
क्या नहीं
हो सकता
-नारायण
बलभद्र
चक्रवर्ती
तथा
लेश्या
अशुभ
प्रथम
कुल नारकी
जीवों की
संख्या में से दूसरे से सातवें
नारकीयों की
संख्या घटाने
पर
असंज्ञी जीव
कर्मभूमिज.
संज्ञी.
पर्याप्तक
गर्भज,
मनुष्य / तिर्यक
च गति
कापोत का
जघन्य अंश
द्वितीय
का
बारहवां
वर्गमूल
सरीसृप
कर्मभूमिज,
संज्ञी,
पर्याप्तक
गर्भज,
मनुष्य /
तिर्यञ्च
गति
तृतीय
कापोत का
मध्यम अंश.
JJ का
दसवां
वर्गमूल
पक्षी
मनुष्य /
तिर्यञ्च
गति
चतुर्थ
J÷ J
का
आठवां
वर्गमूल
१.८
सर्प
अर्थात् ये जीव अधिकतम दर्शाये नरक तक जा सकते हैं।
कर्मभूमिज, कर्मभूमि ज, संज्ञी.
संज्ञी,
पर्याप्तक,
गर्भज
पर्याप्तक,
गर्भाज
मनुष्य /
तिर्यञ्च
गति
तीर्थकर
पञ्चम
JJ का
छठवां
वर्गमूल
भील का
मध्यम अंश
सिंह
षष्ठि
JJ का
तीसरा
वर्गमूल
मनुष्य /
तिर्यञ्च
गति
चरम शरीरी
स्त्री
कर्मभूमिज, कर्मभूमिज,
संज्ञी,
संज्ञी,
पर्याप्तक.
पर्याप्तक,
गर्भज,
गर्भज,
मनुष्य /
तिर्यञ्च
गति
सकल
संयमी
सप्तम
कृष्ण का मध्यम अंश
J ÷ J $1
दूसरा वर्गमूल
कापोत का
ਚ अंश और
नील का उत्कृष्ट अंश और
नील का
कृष्ण का
जघन्य अंश
जघन्य अंश
4 यह साधारण कथन की अपेक्षा से है. सातवी पृथ्वी से निकले हुए जीव विरले ही सम्यक्त्व के धारक होते हैं।
मत्स्य तथा
मनुष्य
कर्मभूमिज,
संज्ञी.
पर्याप्तक.
गर्भज,
तिर्यञ्च
गति
सम्यग्मिथ्या
दृष्टि,
असंयत सम्यग्दृष्टि, देशसंयमी
A
-
कृष्ण का उत्कृष्ट अंश