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________________ अलोकाकाश वातावलय उदाहरण के तौर पर वातवलयों का दिग्दर्शन --d अलोकाकाश अष्टम पृथ्वी वातावलय) ब्रह्मलोक सभ्यलोक लोकाकाश लोकाकाश लोकाकाश लोकाकाश लोकाकाश लोकाकाश लोकाकाश अलोकाकाश ऊर्ध्वलोक-राजू अलोकाकाश मोटाई अष्टम पृथ्वी के ऊपर अष्टम पृथ्वी के बाजू ब्रह्मलोक के पाव भाग में श्री मध्यलोक के पार्श्व भाग में अधोलोक कं नीचे से १ राजू ऊपर पार्व भाग में अधोलोक में नीचे से एक राजू पर्यन्त तक पार्श्व भाग में आठों पृवियों के नीचे तथा अधोलोक के नीने वातत्रलयों का वर्ण २ कोस अनोदधि १ कोम घन भनुष तनु पश्चिम यो. यो. ३ यो. J ७ यो. ५. यो. ४ था. यो. 112 令行有 ३ यो. २०,००० यो. २०,०००या. २०,००० यो. २०,००० यो. २०,०००या. २०,००० यो. गाय के सूत्र सदृश्य मँग के सदृश्य विविध वर्णों वाला ऊर्ध्व I अंधा चित्र १.०२ -पूर्व
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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