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________________ (३) भावन लोक स्थिति : प्रथम रत्नप्रभा पृथ्वी के खरभाग में ६ प्रकार के नागकुमारादि भवनवासी देव तथा पङ्क भाग में असुरकुमार देवों के भवन हैं। दस प्रकार के भवनवासी देव- उनके नाम, वर्ण. भवन संख्या आदि निम्नवत् हैं: प्रथम रत्नप्रभा पृथ्वी खर भाग १६,००० यो, पङ्क भाग ८४,००० यो. अपबहुल भाग ८०,००० यो, प्रकार इन्द्रों के नाम | चिा चिन्ह । वर्ण भवन ऊंचाई जघन्य *उत्कृष्ट | इन्द्र की देवियों की आयु उत्कृष्ट आयु संख्या आयु লিও दक्षिणेन्द्र | उत्तरेन्द्र (दक्षिणेन्द्र | दक्षिणेन्द्र | उत्तरेन्द्र की) । १०,०००१ सागर असुर | धमर वैरोचन | चूडामणि कृष्ण ६४ २५ ३ पल्य कुमार एष वर्ष पल्य नग भूतानन्द धरणानन्द | सर्प ८४ ३ पल्य काल श्यामल १/ पल्य कुमार अधिक १/८ पल्य सुपर्ण वेणु वेणुधारी | गरुड़ ! श्यामल । ७२ कोटि अधिक ३ पूर्व कोटि पल्य टोप | पूर्ण वशिष्ठ ! हाथी । श्यामल २ पल्य | कुछ ३ करोड वर्ष कुमार अधिक ३ करोड वर्ष जलप्रभ जलकान्त | मगर ७६ उदधि कुमार काल श्यामल पल्य
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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