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________________ 6 अंगुल = 1 पाद 2 पाद = 1 वितस्ति (विलस्त) 2 वितस्ति = 1 हाथ 2 हाथ = 1 रिक्कू 2 रिक्कू = 1 धनुष, दण्ड, मूसल अथवा नाली 2000 धनुष = 1 कोस 4 कोस = 1 योजन नोट-- यदि अंगुल को प्रमाणांगुल से मानकर चला जायेगा, तो प्रमाण योजन आएगा। व्यवहार पल्य की रोम राशि प्रमाणांगुल से निष्पन्न योजन, एक येोजन विस्तार वाले गोल गड्ढे जिसकी गहराई एक योजन हो, इसका घनफल V10.(2).1 = 19/24 घन (प्रमाणांगुल से निष्पन्न) योजन होगा। र गोगभूमि में एक दिन ते सात दिन तक के उत्पन्न हुए मेढ़े के करोड़ों रोमों के अविभागी-खण्ड करके अखण्डित रोमानों से लगातार इस एक योजन विस्तार वाले प्रथम पल्य (गड्ढे) को पृथ्वी के बराबर अत्यन्त सघन भरना करना चाहिए। अब व्यवहार पल्य के रोमों की संख्या निकालने के लिये, उपरोक्त 19/24 घनयोजन के उत्तर भोगभूमि के बालाग्र निकलाने चाहिये जो निम्न प्रकार आयेंगेः-- 19124 x 43 x 20003 x43 x243 x5003 कोस धनुष हाथ प्रमाणांगुल उत्सेधांगुल x 8° x83_x8s x8 x83 जौ जूं लीख कर्मभूमि का बालाग्र जघन्य भोगभूमि का बालान x8 x83 मध्यम भोगभूमि का बालाग्र उत्तम भोग भूमि का बालान -४१३४५२६३०३०८२०३१७७७४६५१२१६२०००000000000000000 चार-एक-तीन-चार-पांच-दो-छ:-तीन-शून्य-तीन-शून्य-आठ-दो-शून्य-तीन-एक-सात-सात ११८६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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