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रहता है। जब इसकी मोहनिद्रा का उपशम होता है और पुण्योदय से सदगुरु का निमित्त मिलता है, तब कर्माश्रव का कुछ उपाय निकलता है अर्थात सम्यक्दर्शन की प्राप्ति के फलस्वरूप संवर द्वारा कर्माश्रव कुछ रुकता है । यदि यह जीव सर्वज्ञ द्वारा कथित धर्म के मार्ग में संयम का सहारा लेकर आगे बढ़ता है तो सम्यग्ज्ञान व सम्यक् चारित्र / तप का आश्रय लेकर पिछले कर्मों की निर्जरा करता है। निर्ग्रन्थ मुनि बनकर महाव्रतों समिति व गुप्तियों का पालन करते हुए व्यवहार सम्यक्त्व से आगे अग्रसर होते हुए धर्म ध्यान से आगे शुक्लध्यान द्वारा स्वात्मा में अत्यधिक लीन होकर निश्चय सम्यक्त्व द्वारा कर्मों की सम्पूर्ण निर्जरा कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है। यद्यपि सांसारिक सुख व वैभव प्राप्त करना फिर भी कुछ सुगम है, किन्तु इस जीव को बोधि ज्ञान का प्राप्त होना जो मोक्ष प्राप्ति का मूल कारण है, अत्यन्त दुर्लभ है। किन्तु यदि यह जीव केवल धर्म का आश्रय लेकर अविचलित होकर दृढ़ संकल्प द्वारा संयम का मार्ग अपनाता है, तो उसको बगैर मांगे ही सर्वाधिक सुख, अर्थात मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। जिस प्रकार अनादिकाल से स्वर्ण की खान में स्वर्ण अन्य पदार्थों के साथ रासायनिक तथा भौतिक रूप से मिश्रित होता है और सोलह तावों पर अग्नि में से गुजर कर शुद्ध होता है, उसी प्रकार संसारी जीव अनादिकालीन कर्मों से मिश्रित है और सम्यक्त्व, संयम, तप व ध्यान की अग्नि में तपकर गुणस्थानों को पार करता हुआ शुद्ध होकर सिद्ध बन जाता है
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उक्त उद्बोधन के लिए यह आवश्यक है कि जीव इनको भली प्रकार समझे । इसके लिए उसको इसका ज्ञान होना चाहिए कि वह इस जगत में कहाँ पर अवस्थित है; वह कौन है अर्थात उसका क्या अस्तित्व है: कहाँ से भ्रमण करते-करते वर्तमान में मनुष्य पर्याय पाई है. (जो कि अत्यन्त दुर्लभ है, और जिस भव से ही मोक्ष प्राप्ति हो सकती है) एवम् उसका क्या भविष्य है जो उसके अपने ही हाथ में है, अर्थात उसके मोक्ष प्राप्ति का क्या उपाय है, क्योंकि बगैर मोक्ष प्राप्ति के यथार्थ स्थायी सुख व शांति प्राप्त करना एकदम असम्भव है एवम् उसके अभाव में फिर चतुर्गतिरूपी संसार में जैसे अब तक अनादि काल से जीव भटकता आ रहा है, उसी प्रकार आगे भी अनन्त काल तक भटकता रहेगा। इन प्रकरणों में इस भाग में "मैं कहाँ हूँ" अध्याय में त्रिलोक का, "मैं कौन हूँ" अध्याय में जीव के स्वरूप का, "मैं कहाँ से आया हूँ" अध्याय में जीव के संसार भ्रमण की कथा का और "मेरा क्या भविष्य है" अध्याय में सम्यक्त्व द्वारा
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