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दिशा हो, तो विदेह क्षेत्र में विराजमान, श्री सीमंधरादि भगवानों का चिन्तवन करें। आसनों में दाम (नारियल-जूट) का आसन सर्वश्रेष्ठ है।
यदि आप मन्दिर जी में हैं, तो दिशा बन्धन की आवश्यक्ता नहीं है। परन्तु यदि आप अन्य जगह जैसे घर में हैं, तो उसकी आवश्यक्ता होगी। इसके लिये पूर्व-दक्षिण-पश्चिम उत्तर दिशा में क्रमानुसार सीमा बाँध दें, ताकि कोई जीव आपको ध्यान के समय बाधा न पहुँचाये। तत्पश्चात् अपने शरीर की रक्षा हेतु "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं अर्ह श्री णमो अरिहंताणं" मंत्र बोलते हुए अपने मस्तिष्क पर हाथ फेरते हुए श्री अरिहन्त परमेष्ठी से प्रार्थना करें कि वे आपके सिर की रक्षा करें, "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं अहं श्री णमो सिद्धाण' मंत्र बोलते हुए अपने वक्ष पर हाथ फेरते हुए श्री सिद्ध परमेष्ठी से प्रार्थना करें कि वे आपके वक्ष की रक्षा करें, "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं अर्ह श्री णमो आइरियाण" मंत्र बोलते हुए अपने दोनों हाथों पर हाथ फेरते हुए श्री आचार्य परमेष्ठी से प्रार्थना करें कि वे आपके हाथों की रक्षा करें, " ही कली एवं अर्ह श्री णमो उवज्झायाणं" मंत्र बोलते हुए अपनी पीठ पर हाथ फेरते हुए श्री उपाध्याय परमेष्ठी से प्रार्थना करें कि वे आपकी पीठ की रक्षा करें और "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं अहं श्री णमो लोए सव्वसाहूणं" मंत्र बोलते हुए अपने पैरों के ऊपर से (बगैर स्पर्श किये) हाथ फेरते हुए श्री साधु परमेष्ठी से प्रार्थना करें कि वे आपके पैरों की रक्षा करें। इस प्रकार पंच परमेष्ठी से सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करने की प्रार्थना करें।
तत्पश्चात् अनन्तानन्त अलोकाकाश के मध्य में स्थित लोकाकाश, जगत अथवा त्रिलोक का चिन्तवन करें. जिसका वर्णन "मैं कहाँ हूँ" प्रकरण में दिया है। इसके मध्य लोक में एक राजू व्यास का गोलाकार, एक हजार योजन गहराई वाले एक महासागर की कल्पना करें। इस महासागर में क्षीरसागर का जल भरा है जो अत्यन्त निर्मल और परम शान्त है। सम्बन्धित आकाश भी निर्मल है। इस महासागर और आकाश में कोई थलचर, जलचर अथवा नभचर जीव नहीं है, जल में कोई लहरें नहीं हैं तथा परम शान्त है, वायु भी नहीं बह रही है। कोई आवाज भी नहीं हो रही है तथा पूर्ण निस्तब्धता छाई हुई है।
इस महासागर के मध्य में एक लाख योजन प्रमाण का एक सहस्त्र दल का स्वर्ण कमल है, जिसके मध्य में स्वर्ण कर्णिका है। इस कर्णिका के मध्य में एक लाख योजन ऊँचा एक स्वर्णमयी सुमेरु पर्वत है। पर्वत के ऊपर मध्य में पाण्डुक वन है.
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