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________________ (१०) उचित जीवन शैली- Proper Life style (क) इनसे बचें: (क) अत्यधिक कार्य- प्रतिदिन कई माह / वर्षों तक १४ से १६ घंटे प्रतिदिन काम करना। यह आपके स्वास्थ्य व कुटुम्बी जीवन के लिए हानिकारक (ख) अत्यधिक मनोरंजन- विशेष कर रात्रि में । (ग) धन की गृद्धता एवम् बेईमानी की अथवा नं २ की कमाई । (घ) अहंकार, लोभ एवम् अधिक परिग्रह रखने की भावना । (ङ) व्यसन, अभक्ष्य का सेवन | (च) बुरे और व्यसनी व्यक्तियों की संगति। (ख) इनको अवश्य करें: (क) देव दर्शन, गुरु पारित, शास्त्र स्याध्याय, वैयावृत्य, सामायिक। (ख) दान-अभयदान, आहार दान, ज्ञान दान, करुणा दान, औषधि दान, धार्मिक कार्यों के लिए दान। (ग) अणुव्रतों का पालन, पानी छानकर पीना। (घ) धार्मिक कार्यो में उत्साहपूर्वक भाग लेना ! (ग) अन्य क्रियायें इस पुस्तक के भाग ३ का अध्ययन करके, वे समस्त क्रियायें जिनसे बगैर आपके नियम भंग हुए, आपको लाभ पहुंचता हो, जैसे प्राणायाम, जापानी जल पद्धति, त्वचा की देखभाल, आंखों की देखभाल, मुद्रायें, शारीरिक एवम् मानसिक सक्रियता के उपाय, स्वस्थ जीवन के उपाय, एक्यूप्रेशर विधि द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण आदि। (११) निवारक प्राणशक्ति उपचार- Preventive Pranic Treatment इसकी विधि अध्याय ६ के क्रम संख्या १० (३५) में दी गयी है। इसी का स्व-प्राणशक्ति उपचार भी किया जा सकता है।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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