________________
यात्राम (४) सचिन समय ... Froper Ereathing Exercise
प्रातः भ्रमण, व्यायाम, योगासन का कथन हम भाग ३ में कर आये हैं। प्राणिक व्यायाम का कथन इस भाग के अध्याय ३ के क्रम संख्या २ (क) "वायवी शरीर की सफाई" के अन्तर्गत किया गया है। इन सभी को यदि करेंगे, तो काफी समय लग जायेगा। प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा से लेकर दो घंटा तक इन सब में समय लगायें। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके दिनचर्या के अनुरूप आप किना समय निकाल पाते हैं। सभी उक्त शारीरिक क्रियाओं/ व्यायामों में से आप अपने चुनाव तथा लाभ के अनुसार, निर्धारित समय में व्यायाम करें, किन्तु कुछ समय के लिए प्रातः भ्रमण तो अवश्य ही करें। (५) उचित जीविका- Proper Livelihood
आप अपने जीवन में किसी ऐसे नौकरी, व्यवसाय, जीविकादि से न जुड़ें, जिसमें हिंसा होती है, जैसे मद्य, मांस, मधु, अंडा, चमड़ा का या इनसे बने पदार्थ का व्यवसाय अथवा इनसे सम्बन्धित नौकरी आदि। आपकी जीविका का आपकी भावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
यदि आप किसी ऐसे जीविका से जुड़े हैं, जहां काम का बहुत अधिक दबाब है, चिन्ताएं आदि हैं, तो इनसे तीव्र अथवा गम्भीर प्रकृति के तनाव आदि पैदा हो जाते हैं, जिनसे शरीर पर कुप्रभाव पड़ता है। इनसे बचने के लिए "ध्यान" का सहारा लीजिएजैसे धार्मिक ध्यान अथवा द्वि-हृदय पर ध्यान-चिन्तन। इसका विवरण क्रमशः भाग १ तथा इस भाग के अध्याय ३ में दिया है। (६) उचित वायवी स्वच्छता - Proper Etheric Hygiene
स्वच्छता में शारीरिक, वायवी, भावनात्मक एवम् मानसिक स्वच्छतायें सारगर्भित हैं। यहां इस प्रकरण में वायवी स्वच्छता पर बल दिया है। इसके लिए (क) धूम्रपान से बचें- इससे शारीरिक व वायवी शरीर गंदा हो जाते हैं। लगातार
धूम्रपान से गंदी बादामी ऊर्जा शरीर में भर जाती है । जिससे बहुत सी वायवी नाड़ियां अवरुद्ध हो जाती हैं और उससे शारीरिक कमजोरी आती है। रीढ़ की हड्डी में पीछे की नाड़ी के आंशिक अवरुद्धता के कारण 6b, 3 तथा 1 पर • घनापन आता है और वे अति सक्रिय हो जाते हैं, जिसके फलस्वरूप उच्च
५.५३६