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अध्याय - ३४
बेहतर स्वास्थ्य के लिए मार्गदर्शन तथा निवारक चिकित्सा - Guide to Better Health and
Preventive Healing (१) उचित आहार-जल -- Proper diet water
(क) द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव से शुद्ध आहार (ख) पोषण युक्त (Nutritions) आहार (ग) धूल, कीटाणु, रासायनिक, विषाक्त पदार्थों से रहित
समय-समय पर अनशन व उपवास करना चाहिए जल छना हुआ – हो सके, तो एक्वागार्ड (Aquaguard) द्वारा साफ
किया हुआ। (च) मौसम में जो स्वाभाविक रूप से फल, सब्जियां आती हैं, उनका पर्याप्त
सेवन (छ) आटा चोकर सहित उचित निवास -- Proper Residence (क) जहां वायु दूषित एवम् संक्रमित न हो (ख) जहां धूप का सेवन हो सके (ग) जहां धार्मिक दैनिक क्रियाओं को करने में अड़चन न हो
(घ) आसपास श्मसान, कसाईखानादि न हो (३) उचित श्वसन – Proper Breathing
प्राणिक श्वसन प्राकृतिक है। जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो वह पेट से श्वास (abdominal breathing) लेता है। बड़े होने पर यह छाती से कब लेने लगता है, पता ही नहीं चलता। पेट से सांस लेने में अधिक ताजी हवा आती है, और अधिक दूषित हवा बाहर निकलती है। इसलिए इस प्रकार के श्वसन को अक्सर करते रहिए। इससे आपका ऊर्जा स्तर भी बढ़ता है। इसके सीखने की विधि अध्याय ५ के क्रम संख्या २ में दी गयी है।
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