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________________ २९४ अध्यात्म बारहखड़ी — गाथा क्ष कहिये क्षम नामा, क्षम समरत्था तुही प्रभू सवला । अवला लखहि न धामा, तेरे अवला न पुत्राद्या ॥ १ ॥ क्षक्कहिये क्षय नामा, क्षय हर तू ही सु अक्षयो क्षत्क्षांती फुनि रामा, तू हि क्षमा मूल क्षम तू क्षय को क्षयकारा, क्षति तल मध्ये सुपूजनीको तू । तू हि क्षमा धन धारा, रोग क्षयी नासका तू ही ॥ ३ ॥ क्षमी क्षमाधन थामा, समरथ तो सौ न दूसरी कोई। भ्रांति क्षपाहर रामा, क्षपा निसा नाम बुध भाषै ॥ ४ ॥ तोहि क्षपाकर सेवें, दिनकर से सुरिंद अति सेवैं । तुष भजि मुनि शिव लेवैं, क्षमा धरा तू हि धरणीशा ॥ ५ ॥ स्वामी । देवा ॥ २ ॥ तू क्षरिवे तैं रहिता, अक्षर तू ही अक्षरातीता ( तू ) । अति क्षपणक गण सहिता, क्षपक श्रेणी हि दाता तू ॥ ६ ॥ क्षत पीरा कौ नामा, क्षत हर तू ही जु क्षत्रियाधीशा । क्षति नहि तेरे रामा क्षति नाथा तू हि जगनाथा ॥ ७ ॥ 1 , पूरा ॥ ८ ॥ क्षणिकमती नहि पांवें गांवें तोकौं मुनी क्षमावंता । भव्य जना अति भांवें वीरा तू क्षत्रवटि क्षपित कलंका तू ही क्षण क्षण ध्यांवें यतीश्वरा संता । सुद्ध सुबुद्ध प्रभू ही, क्षपाकरा कोटि नख मार्हे ॥ ९ ॥ ज्ञान छतें हैं मौना, शक्ति छतां है क्षमा महा जिन कै । ते दासा नहि गौना, दांन करें कित्ति नहि चाहें ॥ १० ॥ क्षति समक्षमा जिन कैं, जल सम शांती सुवह्नि सी क्रांती । पवन समांन तिनों के विसंगतता हि ते भक्ता ॥ ११ ॥ निर्मल नभ सा दासा, ध्यांवें तोकौं प्रसन्न चित्ता जे । ते केवल परकासा, पावै तेरे हि परभावैं ॥ १२ ॥
SR No.090006
Book TitleAdhyatma Barakhadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Kasliwal, Gyanchand Biltiwala
PublisherJain Vidyasansthan Rajasthan
Publication Year
Total Pages314
LanguageDhundhaari
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size3 MB
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