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________________ यशोधर रास ११ देवी मंडपि नृप देइ सघलु' राजकुमार । राणीय तव ते सांभष्यु, तिहां प्रावी तिणी वारि ।। १८१ ।। राजा पागि लागी रही, राणीप बोलि ताम । रानी द्वारा घर पर भोजन के लिये निमारण देना ए वैरागज एठडु, काहु स्वामी कुण काम ।। १८२ ।। प्राज मया करी मु यत्ति, मुझ परि करउ रसोइ । दीक्षा कालि लेईनि, तप करसां जण दो६ ।। १८३ ।। तोरणे नसणेमि मानीउं, भोलपरिण ते भूप । जिन पूजानिचानीउ, जाणनु राणी सरूप ।। १८४ ॥ मुडि मुष्टि तिहां गज, राणी तणइ प्रावास ।। कर जोडी साह्मी रही, बोलिङ ताहारडी दास ।। १५ ।। सोबन धालज मांडीइ, रूपा मासण दीघ । माइ सहित बिसारीउ, अति घगी भगतिज कीध ॥ १८६ ।। बेटु बहूयरनु तीया नारीच मलि ममि । जीमाडी अादर करी, कहि नदि प्रापद मुझ ॥ १८७ ।। साक पाकरगू रसवती मूकीय थालि भरे वि। माहि यिसि राणी जीमावही, हीयडोलि कुड धरेबि ।। १८८ ।। प्रध जमती राणी कहि. स्वामीय सांभलि बात ।। पीहर थी कांई मूखडी, पापा हुया दिन सात ।। १८६ ।। तो विण मो काई जोइवा सांगि अछि नेम । प्रसार तु नचि पामीउ, तुहूं जोयड केम ।। १६० ।। रामा को विष के लड्डू खिलाना अध जमती ते उठीय जाईय माहि प्रवास । पेई प्राणी उघाडीइ, मूकी छिरा उनि पास || १६१ ॥ विप मादक दोइ कादिया, एक माय एक राई। रुडा ते नीजां दीया, बली वली २ लागि छिपाई || १६२ ।।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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