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आचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर
जिम रहु तिहों उद्यरू तिम तिम राउ श्रवास । बधि सोवन गयवर हयवर केरा लास ॥ ७१ ॥ पंच वरस इसी परि गयां व्युत्पंज बालापण जाम । राइ जिणेसर पूजीनि भणवा मूकीउ ताम ।। ७२ ।।
उपाध्याय के बाद पढ़ने जाना
जैन उपाध्या भरणावतां भरणीयमि विद्यासे सार । पनरवरस लगि डुं भण्यु पाम्य् भावानु पार || ७३ ॥ राउ कति मुझ लेई गउ पंडित नीपनु जाणी । राष्ट्र पंडित मानी बोलीड मधुरीय वाणी ।। ७४ ।। राइ तव पूछीउ कहु वत्स भरण्बानी बात ।
कुरण कुरण ग्रंथ ज जोईया कुण कुरा शास्त्रती जात ।। ७५ ।। राजप्रति त म का सुरगाउ नरेसर बाज |
पंडित मे हूं भणावी कीधो लुजे मुझ काय ।। ७६ ।। पढ़े हुए विषयों का नाम
वृत्तनि काव्य प्रलंकार तर्क सिद्धांत प्रमाण || भर नह छंद सुपिगल नाटक अन्य पुराण ।। ७७ ।। आगम पोतिष देवक हम नरसू जेह । चैत्य चैत्याला गैहनी गढ मढ करवानी तेह ॥ ७८ ॥ माहो माहि विरोधी रूठा मनावी जेम | कागल पत्र समाचरी रसोवनी पाईइ केम ॥ ७२ ॥ इन्द्रजाल रस भेद जे जुयनइ भूझनु कर्म । पाप निवारण वादन नत्तन नाछि जे ममं ॥ ८० ॥
चली वली का पूछसू जे जे विद्या विसेष | जे जे यहुंय भावी नही पंडित षोडनी रेष ॥ ८१ ॥
पंडितनि तुठउ दिइ लाइ दीनार ।
वस्त्र ते झीलतरणां सबे भापीय सार श्रृंगार ।। ५२ ।।
किम करी शास्त्र जमुकीय झालीय श्रंगने वार । छवोस प्रायुधजे प्रछिते परिजागीय सार ॥ ८३ ॥ इम करो यौवन पासीय वुल्यु बालापण जाम । fare करा कारण राउ विभासिद्धि ताम ॥ ६४ ॥