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यशोधर रास
श्री जिनह स्वामी श्री जिनह स्वामी पाउ प्रमेवि । सिद्धहरित्सु उवज्झाम वली साधु मुनिवर । सरसइ जिनमुख निभाई गुरुह जिन पयकमल मधुकर ॥ राय यसोधर जस्सु र रास मन सुधि । भवीयण जात संभलु जिम पामु घणु रिद्धि ॥१॥
यो देश का वर्णन
gate भरत महीयल मति सोहि । योधे वेश सोहामनुए, तिहां जरा मरण मोहि । वाडी वन सरोवर अपार, नद नदीय विशेष 1 ठामि मि जिहा दानसाल, नर कपड़ा शेष ||२१|
अति मोटां ढकडां गाम, सुर नगर समान जे जे श्रागर वस्तु तणां सर्व रत्तूह्वान | नयर मनोहर राजपुर । ते देश मझारे । जुवहु जिसु अछछ त लागि बारे ||३|| मारबत्त नरनाह तिहां सोहि प्रति सुन्दर । दान मान जस रूप रिधि प्रभिनव पुरंदर | छं दरसननां शास्त्र जिके ते करइ विचार किम तिरी किम डीइए ले जा न सार ॥४॥
ata मठ" दिक्षिण दिशि तिहां नगर सोहावि । देश विदेश समाज लोक यात्रा सबै श्रावि । जार कज्जल घडीम एह तस भीषम रूप 1
डिमार तुम तवं नाम प्रसामि सर्व भूप ॥५॥ पासोज चैत्रीय नुरतांए शिसु पूज करेवा | जीव सहित प्रावीज लोक तस करज सेवा ।
१. नगर का नाम, २. राजपुर के राजा का नाम ३. देवी का मठ, ४. देवी का नाम