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________________ ૪ १. हे बल्लभ सूरी ३. नागसेन ५. नोपसेन U......... £............. १. नेम सेन १३. वासवसेन १५. श्रादित्य सेन १७. श्र ुतकीर्ति १६. विजयकीति २१. महासेन. २३. कनकसेन, आचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर २. गंगसेन ४. गोपसेन ६. रामसेन २५. हरसेन २७. वीरसेन २६. मेरसेन ३१. नयकीति ३३. सहस्रकीर्ति ३५. यशः कीर्ति ३७. पद्मश्रीति ३६. बिमलकीति ४१, मेरुकीति ...... १. चार के नाम नहीं लिखे हुये है । 1 {............ १२. नरेन्द्रसेन १४. महेन्द्रसेन १६. सहस्त्रकी लि १५. देवकीर्ति २०. केशव सेन २२. मेत्र सेन २४. बिजयसेन २६. चारित्रसेन २८. ऋषभसेन. ३०. शुभंकरसेन ३२. चन्द्रसेन ३४. महाकीति ३६. गुणकीति ३८. त्रिभुवनकीर्ति ४०. सदनकीजि ४२. गुणसेन ४२ वे भट्टारक गुग्णसेन महा मुनीश्वर थे। एक रात्रि को जब वे ध्यानस्थ थे तब सर्पाभिराज ने प्रत्यक्ष होकर वचन दिया कि वे बड़े शक्तिशाली हैं इसलिये उनके वचन व पीछी जिस पर फेर दी जावेगी उसके सर्प का विष कभी नहीं चढ़ेगा। मुनीश्वर ध्यान से, विद्या से तप से इतने प्रभावशाली थे कि स्वयं वृहस्पति भी उनसे हार मान लेता था । 1 '
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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