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सरंक्षक की ओर से
श्री महावीर ग्रंथ अकादमी का परचम पुष्प "माचार्य सोमकीति एवं ब्रहा यशोघर" को पाठकों के हाथों में देत हए हम अतांद प्रसभा | FIR संकादमी की २० भागों के प्रकाशन की योजना का २५ प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। इस पुष्प के साथ प्रब तक जिन अशात एवं अल्प-ज्ञात हिन्दी जैन कवियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला जा चुका है । उनका विवरण निम्न प्रकार हैकविका
समय
मल कृतियों भाग नाम
की संक्या १ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल १६-१७वीं शताम्दी
प्रथम २ भट्टारक त्रिभुवनकीर्ति ३ कविवर चराज १६वीं शताब्दी
द्वितीय , छोहल । ठक्कुरसी
, गारवदास . , चुतुरुमल ८ महाकवि ब्रह्म जिनदास १५वीं शताब्दी
भट्टारक रत्नकीर्ति १७वीं शताब्दी १० , कुमुदचन्द ११ , प्रभयचन्द
" शुभषन्द १३ , रत्तचन्द
श्रीपाल
, जयसागर १६ , चन्द्रकीति १७ । भणेश १८ पाचार्य सोमकीति १६वीं शताब्दी १६ कविवर सांगु
पञ्चम