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________________ ब्रह्म गुणकोत्ति १२१ प्रस्तुत रामसीताराम को पाण्डुलिपि उसी गुटके में संग्रहीत है जिसमें भट्टारक सोमकीति, ब्र. यशोधर एवं अन्य कवियों के पाठ हैं। मुझे तो ऐसा लगता जैसे इस गुटके के पाठों का संकलन मैंने ही अपने उपयोग के लिये कभी किये थे। प्रस्तुत पञ्चम भाग के अधिकांण पाठ इसी गटके में से लिये गये हैं। _रामसीतारास एक खण्ड काव्य है जिसमें राम और सीता के जन्म से लेकर लंका विजय के पश्चात् प्रमोध्या प्रवेश एवं राज्याभिषेक तक की घटनाओं का संक्षिप्त वर्णन किया गया है । इसमें १२ ढालें हैं जो ११ अध्यायों का काम करती है। जैन कवियों ने प्राचीन काल में इसी परम्परा को निभापा था। महाकवि त्रजिनदास ने भी अपने रास काम्पों को ढालों में ही विभक्त किया है। यह गीतात्मक काम्प ने जिसकी हालो को गा करके पाठकों को सुनाया जाता था। समय-रामसीतारास का रपना काल तो मिलता नहीं जिससे स्पष्ट रूप से किसी समय पर पहुंचा जा सके लेफिन प्र. जिनदास का शिष्य होने के कारण तथा गुटके के अन्य पाठों के समय निर्णय के देखते हुये प्रस्तुन सास फो संवत् १५४० के पास पास की रचना होनी चाहिये । ब्र- जिनदास का संवत् १५२० तक का समय माना गया है 1 प्रस्तुत कृति 'उनको मृत्यु के पश्चात् निबद्ध होने के कारण उत रचना काल मानना उचित रहेगा। इगी तरह हम इस कृति के प्राधार पर ३० गुणकीत्ति का समय भी संबत् १४९० मे १५५० तर, का निर्धारित कर सकते हैं। __ भाषा--स की भाषा राजस्थानी है यद्यपि गजरात के किसी प्रदेश में इसकी रचना होने के कारण इस पर गुजराती शैली का प्रभाव भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है लेकिन क्रिया पदों एवं अन्य शब्दों को देखने से यह तो निश्चित ही है कि कवि को राजस्थानी भाषा से अधिक लगाव था। विचारी (विचारकर) मांडीड (मांडे) अाबीयाए (माये) यानकी (जानकी) घणी (बहुत) पाणी (हाथ) प्रापणा (अपना) घालीइ (डालना) जाणए, बोलए, लीजिए जैसे किंवा पदों एवं अन्य शब्दों का प्रयोग हुआ है। सामाजिक स्थिति–रामसीतारास छोटी-सी राम कथा है। कथा कहने के अतिरिक्त कवि को अन्य बातों को जोड़ने की अधिक प्रायश्यकता भी नहीं थी उनके बिना वर्णन के भी जीवन कथा को कहा जा सकता था लेकिन कबि ने जहाँ भी ऐसा कोई प्रसंग पाया उसके वर्णन में कवि ने सामाजिकता को अवश्य स्पर्धा किया है। प्रस्तुत रस में रामसीता के विवाह के वर्णन में सामाजिक रीति-रिवाजों का वर्णन मिलता है । राम के विवाह के अवसर पर तोरण द्वार बांधे गये थे।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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