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सुकोसल राय चुप
ध्यान घरि महावीर तारन जेहन कोइ नहीं ॥ . ॥ सीरज संहनि कोलमड सुक्ल ध्यान परमेशे की सुरास्थामिक ग्यु सेरभि उपनु केवल महा निरमल मुगति नारी से वरि । कासम लेई विरार मुनिवर वन माहि
हा
मुनिवर बिहि सुगति गया, सहिदेवी स्वर्ग सार 1 खासु कहि इम उच्चरु, जिम बासु भववार ।। १६६ १६
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तर करि ॥ . ॥। ४ ।। १६७ ।।
॥ इति श्री सकोसल राय चुबई समाप्तः ||
।। १६६ ।।