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________________ ११६ प्रामा कामकोलिए ब्रह्म यधर तुझ तणी यामती मुझ तगी कामनी प्रातम घातिए बाघिण हुई ए ॥ चलायु ।। मातम घाति वाघिण थई रे प्रापण सरसी बालि । मछर चटीमलपंती आदि पूरब दुःखमनि सालि । एह तणा परिसि सहिस पराणा ताहारि कुगा कहुं तीलि । सीहिण प्रावि सूर सकोसल मुनिवर इणी परि वोलि रे ॥ १।। १४२ ।। बल तुनि इम भणि काई मधुरी वाणी गुरु सुरिण | पापुण कायां इतुकीजिदए च्यारां गति माहि अवतरयु । घुरासी लष रसवाडयु छहलानि भवनुए जो खोलीच रे ।। च ।। छेहला भवनु एह बोलीउ हवि प्रातम सत साधु । सदगुरु केरी सेव करी निरूपातीन पाराषु।। सुध चिप जोया गति जाणु हरष घणु मनि ब्रह्म तारा । कासग करीनि प्रशसरण लीधु तु गुरु परति हम भणि ॥ २ ।। १४३ ॥ सामानि द्रिष्टि रे सीहिण वाहिरे दीठा नि मुनिवर विहि रूडवाए। बाघिणी घरहरि तिणि अंबर थरहरि पीडा न जारिगए सां परतपीए ।। च. ।। एह पापणी पीउन जाणि महला एह ना कारणी। पुछाउ लालीची उडि थर थर धूजि धरणी। हहि रत्ती डाला गरि लीधु मछर घणु मन माहि । ध्यान धरी गुरु मागलि उभा साहनी दृष्टि चाहि ।। ३ ।। १४४ ॥ काई दल भरी बुकिरे नपरतरणा घाम करे। ध्यान न चुकि मुनिवरनि न तणु' । मछर चड़ो मोडिरे धसी रधं धंधोलि रे पगतरणे पडघाट जो पीडा करिए । च.। पुग तणे पडिघाह करीनि मुनिवरचें सिर दूरि । विकराली तिहां वलगिविरणि विसमेनहर वलरि ।
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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