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________________ प्राचार्य सोमकीर्ति एवं ब्रह्म यशोधर कर्म टालि टालि प्रतिहि सुजाण मटवी मांहि एकलु मन माहि मातम ध्यान माणि । परमानन्द सेवि सवा जाणि धर्म विचार 1 बिहि मुनिवर प्रति सूपडा हवि लेंसू भव पार व्याधिणी द्वारा भयंकर आक्रमण का एक वर्णन देखिये वाविणी घर हरि सिरिण अंबर परहरि पीडा न जाणिए ना तरतएगीए। एह पापिणी पीड न जारिण मडला एहनां करणी पुछउ लाली उची उडि थर भर धूजी घर रखी । छन्व—प्रस्तुत काव्य में चौपई एवं दोहा छन्द की प्रमुखता है लेकिन अन्य छन्दों में द्वाल हीडोलानी, बस्तुबन्ध छन्द का भी प्रयोग हमा है। पूरा काव्य गेय काव्य है जो गाया जाकर जन मानस में सुकौसल के प्रति श्रद्धा के भाव उडेलता है। भाषा--भाषा की दृष्टि से काव्य राजस्थानी भाषा का काव्य है। मांगु, लांगु, धिरि धिरि सिगार, आपणु, जनप्यु सुबू जैसे किया. पदों एवं अन्य शब्दों का प्रयोग बहुतायत से हुआ है। सांगु कवि का यद्यपि गुजरात से सम्बन्ध था लेकिन मुजराती भाषा का प्रयोग नहीं के बराबर हुया है। फिर भी कहीं कहीं क्लिष्ट शब्द भी प्रयोग हुमा है उससे यह काव्य सामान्य पाठकों के पल्ले नहीं पड़ता। नगरों का वर्णन भयोध्या के विशेष वर्णन के साथ २ अपने इस काध्य में कितने ही प्रदेशों एवं नगरों का उल्लेख किया है। इससे काव्य के प्रति प्राकर्षरण सहज ही बढ़ गया है । गोपाचल (ग्वालियर) उज्जयिनी, गुर्जर देश, सौरठ (सौराष्ट्र) कोंकण, लाड, मरहरु (महाराष्ट्र), कन्नड (कर्नाटक) मेदणाट (मेवार) मुलतान, खुरासाण, मरुस्थली (मारवा}, हथणाउर (हस्तिनापुर) पोयणपुर (पोदनपुर), चम्पापुर, पाधापुर, अंगदेश, बंगदेश, मगध, चीरा (चीन) पंचाल, राजगृही, प्रादि के नाम उल्लेखनीय है। ___ समाज वर्णन-सुकौसल चुप में सामाजिकता वर्णन के प्रसंग बहुत कम माये हैं । पुत्र जन्म, प्रावि के अतिरिक्त कोई विशेष वर्णन नहीं मिलते । लेकिन
SR No.090004
Book TitleAcharya Somkirti Evam Brham Yashodhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size3 MB
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