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लघु चिन्तामरिण पार्श्वनाथ जयमाल
तिहुवा चूडामणि जय चिंतामणि, भूषण कमल सरसय । नागद्दहमंडणू दुरियनिडणु, जय जय पास जिणेस || जय पास जिणेसर बीयराय, जय जय सयं सुर सामिव पाय । जय केवल किरण फुरंत देह, जय हिय मइ तुह वाणी प्रमोह | वाखारसि पयरिहि लद्ध कम्मु, पामावर पाचाथ पोम | धरनिदु सुवियसामि साल, तुव चला नमइ पणमंत काल । नंदन अश्वसेणु नरेसु राय, वम्मादे माई पुरवई ग्राम । मन वह्नित पूरण सञ्जु सुखु तुहु पाय मत जाइ दुहुँ । रिपुरि गिरि मंदिर मदुस रणिरावलि देवनि प्रदुभि । जलि यलि महियलि जे तुह संरति, तद्दु निश्चय दुरिय दुख यहुजंति । जे स्वामि तह गुरण असेस, तसु पाय पणासइ खास सासु जो दाहविजं चिय को हुति, जे तुह गंधोवहि खयहु जति । जे चलण स्वामि तु पय जुवंति, जे कर जे तुहु पूजा रचंति । जे नयगा धन्तु तुहु मुहू जुवंति सा जीहाज तुहु पय गुण थुनंति । जे श्रवणजि तुहु वाणी अमोघ जम्मणु तुहु हिवरे । जिहि दीठा हासद भयह पापु, जिहि घ्याया सीझइ मंतु जाप । जिहि यहि फिes भय रोग, यह पूरइ सग्गु पवग्गु भोज । हउ पास जिणेसर तराउ भिच्चु, दम भरणइ सोम सेवग्ग सज्ज । फल पदमु तासु मंदिर घरेण चितार्माण चित्यउ प्रभु देइ । जो कामधेनु तहि घरि दुइ, जे पासणाहुहियजद्र वरेड 1
घशा
तू मुव दिवायरु गुणरयणाय
मद्द मोह दुह खंडणू ।
तू तिहुव मंडण, भत्रहखंडण जय जय पास जिणेसरु | 2
गुटका संख्या - शास्त्र भण्डार श्री दिगम्बर जैन मंदिर सोनियों का (पार्श्वनाथ मन्दिर) जयपुर |
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