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________________ आचार्य हेमचन्द्र पाङ्ग ग्रन्थ है ।ग्रन्थकार ने स्वयम् ही सूत्र, अलङ्कार-चूडामणि नाम की वृत्ति एवम् विवेक नाम की टीका लिखी है । इसमें काव्य के प्रयोजन, हेतु अर्थालङ्कार, गुण-दोष, ध्वनि इत्यादि सिद्धान्तों पर हेमचन्द्र ने गहन एवम् विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया है। (७) कोश - इनके ४ प्रसिद्ध कोश हैं- १, 'अभिधान-चिन्तामणि' २, 'अनेकार्थसङ्ग्रह' ३, 'निघण्टु' ४, 'देशीनाममाला' । प्रथम में अमरकोश के समान संस्कृत की एक वस्तु के लिए अनेक शब्दों का उल्लेख है। दूसरा कोश एक शब्द के अनेक अर्थों का निरूपण करता है। तीसरा वनस्पति शास्त्र का कोश है । चौथा ऐसे शब्दों का कोश है जो उनके संस्कृत अथवा प्राकृत व्याकरण से सिद्ध नहीं होते । प्राकृत, अपभ्रश एवम् आधुनिक भाषाओं के अध्ययन के लिए यह कोश बहुत ही उपयोगी है। (८) न्याय- 'प्रमाणमीमांसा'- इसमें प्रमाण और प्रमेय का सविस्तार विवेचन विद्यमान है। (९) योगशास्त्र- इसमें जैन-दर्शन के ध्येय के साथ योग की प्रक्रिया के समन्वय का प्रयास किया गया है । इसकी शैली पतंजली के योगसूत्र से मिलती है । पर विषय और वर्णनक्रम दोनों में मौलिकता और भिन्नता है। द्वादश व्रत- अणुव्रत-५- १. अहिंसा, २. सत्य, ३. अस्तेय, ४. ब्रह्मचर्य और ५. अपरिग्रह । गुणव्रत-३- १. दिविरतिः, २. भोगोपभोगमान और ३. अनर्थं दण्ड विरमण । शिक्षाव्रत-४- १. सामयिकव्रत, २. देशावकासिक, ३. पोषध और अतिथि संविभाग । आचार्य के ३६ गुण(१) तप-१२- १. अनशन, २. अवमौदर्य, ३. वृत्तिपरि संख्यान, ४. रसपरित्याग, ५. विविक्तशय्यासन, ६. कायक्लेश, ७. प्रायश्चित्त, ८. विनय, ६. वैयावृत्य, १०. स्वाध्याय, ११. व्युत्सर्ग और १२. ध्यान । (२)धर्म-१०- १. उत्तमक्षमा, २. मार्दव, ३. आर्जव, ४. शौच, ५. सत्य, ६. संयम, ७. तप, ८. त्याग, ६. आकिंचन्य और १०. ब्रह्मचर्य ।
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
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