SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय : १ जीवन-वृत्त तथा रचनाएँ गुजरात की महती परम्परा यद्यद्विभूतिमत्सत्वं श्री मर्जितमेव वा । तत्तदेवावगच्छ त्वं मम तेजोंऽशसम्भवम् ॥१ भगवान् कृष्ण 'विभूतियोग' नामक अध्याय में संक्षेप में अपनी योग शक्ति का वर्णन करते हुए अर्जुन से कहते हैं --"जो जो भी विभूतियुक्त अर्थात् ऐश्वर्ययुक्त, कान्तियुक्त और प्रभावयुक्त वस्तु है, उस उसको तू मेरे तेज के अंश की ही अभिव्यक्ति जान" । आचार्य हेमचन्द्र के जीवन-चरित्र का अध्ययन करने से उपर्युक्त बात सत्य सिद्ध होती है । यद्यपि परिस्थिति मनुष्य का निर्माण करती है, फिर भी अनुकूल परिस्थिति प्राप्त होते ही महापुरुष जन्म ग्रहण करते हैं यह बात भी सदैव अनुभव में आती है। सांस्कृतिक दृष्टि से गुजरातप्रदेश प्रारम्भ से ही अग्रगामी रहा है। भगवान कृष्ण ने द्वापरयुग में वहाँ द्वारका की स्थापना कर उस प्रदेश को विशेष गौरव प्रदान किया था । इसके पश्चात् पौराणिक काल में भी गुजरात सभ्यता एवं विभिन्न धार्मिक संप्रदायों का गढ़ रहा है । श्री क० मा० मुन्शी के अनुसार द्वितीय शताब्दी के आरम्भ में ही श्री लाकुलिश के प्रभाव से गुजरात में शैव तथा पाशुपत सम्प्रदाय का बहुत प्रसार हुआ था । ऐतिहासिक काल में भी गुजरात विद्या प्रचार का बड़ा केन्द्र रहा । वलभी का विश्वविद्यालय तो सुप्रसिद्ध है। चीनी यात्रियों ने भी १-भगवद्गीता -अध्याय १०-४१ २-गुजरात एण्ड इट्स लिटरेचरः इन्ट्रोडक्शन - पेज २१. के० एम० मुन्शी
SR No.090003
Book TitleAcharya Hemchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV B Musalgaonkar
PublisherMadhyapradesh Hindi Granth Academy
Publication Year1971
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy