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________________ २०२ ) । भाचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर अनेक छंद, अलंकार आदि से सुसज्जित अध्यात्म शास्त्र की अति सुन्दर रचना करके जैन साहित्य के गौरव को वृद्धिगत किया है ।' इस प्रकार आचार्य अमृतचन्द्र का प्रभाव पं० बनारसीदास पर स्पष्ट प्रकट होता है। पण्डित भूधरदास पर प्रभाव (१७३२ ईस्वी)- पाप आगरा निवासी तथा खण्डेलवाल जैन थे । यापकी कृतियों में प्रमुख कृति "पाचपुराण" है । आपका समय १७८६ संवत् (१७२२ ईस्वी) है। आप आचार्य अमृतचन्द्र की कृतियों से विशेष प्रभावित थे। जिसके कुल आधार इस प्रकार हैं। प्रथम सो भूधरदास का पार्श्वपुराण यद्यपि पार्श्वनाथ जिनेन्द्र के जीवनचरित से सम्बद्ध प्रधमानयोग का ग्रन्थ है, फिर भी इसका बहुभाग द्रव्यानुयोग विषयक तत्त्वनिरूपण में उपयोग किया गया है । तत्त्वनिरूपण का प्रमुख आधार आचार्य अमृत चन्द्र के हो ग्रंथों में वणित विचार थे। लेखक ने स्वयं भी इस बात को स्वीकार किया है। इसका उल्लेख उन्होंने सात तत्व के निरूपण करते समय किया है । यथा - अमृतचन्द्र मुनिराज कृत किपि अर्थ अबधार । जीवतत्त्व वर्णन लियो अब अजीव अधिकार ॥3 उक्त प्रमाण से आचार्य अमृत चन्द्र का प्रभाव पण्डित भूधरदास पर भी लक्षित होता है। पं० हीरानंद पर प्रमाव (१६१३-१६८३ ईस्वी ) - पं० हीरानंद आगरा निवासी पं. जगजीवन के साथी थे। जगजीवन की प्रेरणा से पं० हीरानंद ने पंचास्तिकाय का पद्यानुवाद १६४३ ईस्वी में किया था । उनका समय १६१३ से १६८३ ईस्वा है । पं हीरानंद आचार्य अमृतचन्द्र से प्रभावित थे, इसके कुछ आधार इस प्रकार हैं - १. अर्धकथानक, पं. बनारसीरासकृत संपादक - नाथू रागप्रेमी, पृष्ठ ८६ (१९७५) प्रथम संख्या २. बृहत जैन शब्दार्णव, भाग २, पृष्ठ ५७२ ३. पार्श्व पुराण, अधिकार ६, पृष्ठ ७२-७३ (प्रकाशक जैन ग्रन्थ र० का, बम्बई) वीर० नि० सं० २४३ ४ (ज्ञानसागर प्रेस) ४, पंजास्तिकाय, समयसार - 40 हीरानंद, प्रशस्ति पद्य २६, पृष्ठ १६६
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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