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________________ । इस क्रांति की लहर में आध्यात्मिक तत्त्वज्ञान शिक्षण-प्रशिक्षण शिविरों कोखला प्रारम्भ हुई । सन् १९७४ में उक्त शृखला को एक कड़ी के रूप में एक शिविर मलकापुर (बुलढाणा-महाराष्ट्र में लगा। उस समय अादरणीय पं. डॉ. हुकमचन्दजो भारि ग्ल, शास्त्री जयपुर के सत्परामर्श एवं श्रद्धेय पं. श्रीमान् बाबूभाई चुन्नीलाल मेहता फतेपुर (साबरकांठा-गुजरात) एवं आदरणीय व. श्रीमान माणिकचन्द्र जी चंदरे, कारंजा पाकोला - महाराष्ट्र की सत्प्रेरणा से जैनाचार्य अमृतचन्द्र पर शोध व खोज करने का विचार पक्का हुया, परन्तु उसका विधिवत प्रारम्भ नहीं हो सका। १९७८ में अादरणीय श्रीमान् प्रोफेसर जमनालाल जी जैन (इन्दौर) के सौहार्द, सदभावना व सत्यास स अादरणाय श्रीमान डॉ. हरीन्द्रभूषण जी जैन, उपाचार्य - संस्कृत विभाग - विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन (म.प्र.) के सुयोग्य निर्देशन की स्वीकृति का सौभाग्य मिला। इधर शिक्षा विभाग से शोध करने की अनुमति तथा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में शोध कार्य हेतु मेरा पंजीकरण आदेश प्राप्त होने से मेरा उत्साह द्विगुणित हो गया। तत्पश्चात् 'प्राचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं वर्तृत्व' शीर्षक के अन्तर्गत प्रस्तावना सहित आठ अध्यायों में निम्नानुसार शोध व खोज करके शोध प्रबन्ध लिखा 1 सर्वप्रथम पृष्ठभुमि प्राक्कथन) में दिगम्बराचार्य परम्परा में प्राचार्य अमृतत्चन्द्र का स्थान, महत्व तथा कृतियों पर शोध की आवश्यकता प्रदर्शित की। - प्रथम अध्याय में प्राचार्य अमृतचन्द्र की पूर्वकालीन धार्मिक, साहित्यिक तथा राजनैतिक परिस्थितियों का सप्रमाण विशद् आलोडन किया गया । द्वितीय अध्याय में प्राचार्य अमृतचन्द्र का जीवन परिचय कराया गया । इसके अन्तर्गत अमृतचन्द्र का समय निर्धारण, अलौकिक-लौकिक जीवन परिचय, ठाकुरकुल, द्रविड़ संघ, पुनाट संघ तथा काष्ठा संघ से अमृतचन्द्र को सम्बद्ध मानने वाली भ्रांतियों का निराकरण करते हए, उन्हें कुन्दकुन्द की नंदिसंघीय परम्परा का ही सिद्ध किया गया । आचार्य परम्परा में उनका स्थान भी दर्शाया गया । तृतीय अध्याय में उनके व्यक्तित्व को नाटककार, गद्य-पद्य व चम्पू काव्यकार, व्याख्याकार तार्किक व नैयायिक, भाषाविद् व सिद्धान्तज्ञ, व्याकरणज्ञ तथा अध्यात्म रसिक के रूप में प्रकाशित किया गया । उनका (xiii )
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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