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अंगपण्णत्ति
पदार्थों के चार-चार भेद होने से सर्व छत्तीस भेद होते हैं। यह काल की अपेक्षा छत्तीस भेद हैं। इसी प्रकार ईश्वर, आत्मा, नियति और पौरुषवाद के भी छत्तीस-छत्तीस भेद होने से क्रियावादियों के एक सौ अस्सी भेद होते हैं।
क्रियावादियों के एक सौ अस्सो भेद का चार्टकाल | ईश्वर | आत्मा नियति स्वभाव | जीव अजीव आस्रव बंध | संवर निर्जरा मोक्ष पुण्य पाप | स्वतः परतः नित्य | अनित्य
अस्ति
॥ इस प्रकार क्रियावादियों का कथन समाप्त हुआ । अह अकिरियावाईणो वियप्पा-अथ अक्रियावादिनां विकल्पाः। अब अक्रियावादियों का कथन करते हैंसत्तपयत्था वि सदो परदो गस्थित्ति पंतिचदुजादा । कालादिया वि भंगा सत्तरि अक्किरियवाईणं ॥ २४ ॥
सप्तपदार्था अपि स्वतः परतो नास्तीति पंक्तिचतुष्कजाताः।
कालादिका अपि भंगाः सप्ततिः अक्रियावादिनां ॥ णियडीदो कालादो सत्तपदत्थाण पंतितियजादा । चउदसभंगा होति हु एवं चुलसीदि विण्णेया ॥ २५ ॥
नियतितः कालतः सप्तपदार्थानां पंक्तित्रिजाताः ।
चतुर्दशभंगा भवन्ति हि एवं चतुरशीतिविज्ञेयाः॥ कालादो जीवो सदो पत्थि १, कालादो जीवो परदो पत्थि २, एवं सत्तरिः भंगा। णियडीदो जीवो णत्थि १, कालादो जीवो पत्थि २, एवं चोदसभंगा, सव्वे मिलिदा चुलीसीदी ८४। ___ कालतो जीवः स्वतो नास्ति १, कालतो जीवः परतो नास्ति २, एवं -सप्ततिः भंगाः । नियतितो जीवो नास्ति १, कालतो जोवो नास्ति २, एवं चतुर्दशः भंगाः । सर्वे मिलित्वा चतुरशीतिः ८४ ।