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द्वितोय अधिकार शून्यनवशून्यद्विकनवसप्तदशाङ्गक्रमेण नदीसंख्याः।
वर्ण्यन्ते जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तौ पदानि यत्र सन्ति ॥ शून्य, नौ, शून्य, दो, नौ, सत्रह अंक क्रम से ( अंकों की वामतोगति होती है। ) अतः ( १७९२०९० ) सत्रह लाख, बानबे हजार, नब्बे नदियों का प्रमाण है । इन सबका वर्णन जिसमें है वह जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति है ॥ ७ ॥
विशेषार्थ भरतक्षेत्र की २८ हजार दो नदियाँ हैं, हेमवत क्षेत्र में छप्पन हजार दो नदियाँ हैं। हरिवर्ष क्षेत्र में एक लाख बारह हजार दो हैं। हैरण्य में छप्पन हजार दो हैं और ऐरावत में २८ हजार दो हैं । अतः इन छह क्षेत्रों की नदियों का प्रमाण तीन लाख बानबे हजार बारह है। विदेह क्षेत्र में १४०००७८ हैं। उसमें एक लाख अड़सठ हजार नदियाँ देवकुरु में और उत्तरकुरु में बहती हैं।
विदेह क्षेत्र में नदी संख्या इस प्रकार है-सोता, सीतोदा, क्षेत्र नदी चौंसठ, विभंगा नदी १२, सीता-सीतोदा की परिवार नदी एक लाख अड़सठ हजार हैं । क्षेत्र नदी की परिवार नदी आठ लाख छियानबे हजार हैं। विभंगा नदी की परिवार नदी तीन लाख छत्तीस हजार हैं। इस प्रकार सम्पूर्ण विदेह क्षेत्र की नदियाँ चौदह लाख अठहत्तर हैं, अतः सर्व जम्बूद्वीप की नदियों का प्रमाण सत्रह लाख, बानबे हजार, नब्बे नदियाँ हैं।
इस प्रकार जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में जम्बूद्वीप स्थित सुदर्शन मेरु, छह कुलाचल, छब्बीस वन खण्ड, बीस द्रह, बीस वक्षार-पर्वत, चौंतीस भोगधरा ( कर्मभूमि ) छह व्यन्तरों का आवास, जम्बूवृक्ष, शाल्मलीवृक्ष, चार विदेह, चार नाभिगिरि, सत्रह लाख बानबे हजार नब्बे नदियाँ, विजयार्द्ध चौंतीस, दो सौ कांचनगिरि, आठ दिग्गजेन्द्र, पाँच सौ अड़सठ कूट, सात भरत आदि क्षेत्र, दो सौ यमकगिरि आदि का तीन लाख पच्चीस हजार पदों के द्वारा वर्णन करता है
इस जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के तीन लाख, पच्चीस हजार पद हैं। श्लोक संख्या सोलह नील, साठ खरब, सैंतीस अरब, पचास करोड़, उन्नीस लाख, सत्यासी हजार, पाँच सौ हैं। वर्ण संख्या का प्रमाण पाँच शंख, इकतीस नील, बत्तीस खरब, छह करोड़, छत्तीस लाख है।
- द्वीपसागर प्रज्ञप्ति का कथन तियसुणपणवग्गतियलक्खा, दीवजलहिंपण्णत्ती। अढाइ (जा) उधारसायरमिद दीवजलहिस्स ॥ ८॥