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- अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८३ स्थापनाप्रमाणनिरूपणम्
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उदो फरगुणीओ य ॥१॥ हेत्थो चित्ती सोती, विसाही तहय होई अणुराहो | जेट्ठी मूली पुव्वासढा तह उत्तरी चैव ॥२॥ अभिई सवर्ण धनिट्ठा, सत्तभिसदा दो य होंति भयो । रेवई अस्सिणि भरणी, एसा नक्खत्तपरिवाडी ॥३॥ से तं नक्खत्तनामे । से किं तं देवयाणामे ?, देवयाणामे-अग्गिदेवयाहि जाएअग्गिए, अग्गिदिण्णे, अग्गिसम्मे, अग्गिधम्मे, अंग्गिदेवे, अग्गिदासे, अग्गिसेणे, अग्गिरक्खिए। एवं सव्वनक्खत्तदेवया नामा भाणियथवा । एत्थंपि संगहणिगाहाओ - अंग्गि पयावई सोमे, रुद्द अदिती विहसई सप्पे । पिर्ति भर्ग अजम संवियाँ तट्ठीं वाऊँ इंदरेंगी ॥ १ ॥ मित्तो ईदो निरई, आऊँ विस्सो य बभविष्यों । वसुं वरुण अर्ये विवेद्धी से आसे जैमे चैव ॥ २॥ से तं देवया णामे । से किं तं कुलनामे ? कुलनामे - उग्गे भोगे रायपणे खत्तिए इक्खागे पाए कोरव्वें । से त कुलना में से कि तं पाखंडनामे ?, पाखंडनामे-- समणे य पंडुरंगे, भिक्खू कावालिएँ य तावसए। परिवायगे से तं पासंडनामें से किं तं गणना में है, गणनामे मले मल्लदिने मलधम्मे मलसम्मे महदेवे मलेदा
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से मल्लरक्खि । सेतं गणनामे । से किं तं जीवियना ? जीवियना मे -- अवकरए उक्कुरुडए उज्झिअएं कज्जवए सुपर । सेतं जीवियना मे । से किं तं अभिप्पइये णामे । अभिप्पाईयनामे- अंबए निंबए बंकुलए पलासए लिए पिल्लूए करीरए । सेतं आभिपाइयनामे । से तं ठवणप्पमाणे ॥सू० १८३ ॥