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अनुयोगद्वारसूत्र दृष्टार्थयोगात् सामान्यदृष्टम् , विशेषतो दृष्टार्थयोगाद् विशेषदृष्टं चेति भावः। तत्र सामान्यदृष्टं यथा एकः पुरुषस्तथा बहवः पुरुषाः, यथा बहवः पुरुषास्तथैका पुरुष इत्यादि । अयं भावः-नारिकेलद्वीपादायातः कश्चित् पुरुषः सामान्येनैकं पुरुषं दृष्ट्वा एक्मनुमिनोति, यथा-अयमेको दृश्यमानः पुरुषएतदाकारविशिष्ट. स्वथा बहवोऽत्रापरिदृश्यमानाः पुरुषा अपि एतदाकारविशिष्टा एव, पुरुषत्वाविशेषात् , अन्याकारत्वे पुरुषत्वहानिप्रसङ्गात् , गवादिवदिति । तथा-कश्चित्तथा
और विशेषतः दृष्ट अर्थ के संबन्ध से विशेषदृष्ट होता है। (से किं तं सामन्नदिढ) हे भदन्त ! वह सामान्यदृष्ट अनुमान क्या है ?
उत्तर-(सामनदिट्ट) सामान्यदृष्ट अनुमान इस प्रकार से है(जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो) जैसा एक पुरुष होता है, वैसे ही अनेक पुरुष होते है, जैसे अनेक पुरुष होते है, वैसा ही एक पुरुष होता है। इसका तात्पर्य यह है-नारिकेल द्वीप से आया हुआ कोई पुरुष सामान्य से एक पुरुष को देखकर ऐसा अनुमान कर लेता है कि 'जैसा यह एक दृश्यमान पुरुष इस आकार से विशिष्ट है, उसी प्रकार अन्य और भी बहुत से पुरुष कि-जिन्हें मैंने देखा नहीं ऐसे ही आकार से विशिष्ट होंगे। क्योंकि जिस प्रकार से इस दृश्यमान पुरुष में पुरुषस्वरूप सामान्य धर्म विद्यमान है, उसी प्रकार से अन्य अदृष्ट पुरुषों में भी वह विद्यमान है। उसमें कोई विशेषता नहीं है। यदि अन्य अदृष्ट पुरुषों में विशेषत: ४०८ मा समयी विशेष - 14 छे. (से कि त सामन्न दिg ) महत! सामान्य अनुमान छ।
उत्तर--(सामन्न दिटुं) सामान्य हैट अनुमान प्रमाणे छ. (जहा एगो पुरिखो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो) । એક પુરૂષ હોય છે, તેવા જ ઘણા પર હોય છે. જેવા અનેક પુરૂ હાય છે, તે એક પુરૂષ હોય છે. આનું તાત્પર્ય આ પ્રમાણે છે કે નારિકલ દ્વીપથી આવેલે કેઈ પુરૂષ સામાન્ય રૂપમાં એક પુરૂષને જોઈને આ જાતનું અનુમાન કરી લે છે કે “જેવો આ એક દુષ્યમાન પુરૂષ આ આકારથી વિશિષ્ટ છે, જેમને મેં જોયા નથી એવા અન્ય સર્વ પુરૂષો પણ આ જાતના આકારથી યુકત હશે જ. કેમકે જે પ્રમાણે આ દશ્યમાન પુરૂષમાં પુરૂષવરૂપ સામાન્ય ધમ વિદ્યમાન છે, તે પ્રમાણે જ અન્ય અદષ્ય પુરૂષોમાં પણ વિદ્યમાન છે. તેમાં કઈપણુ જાતની વિશેષતા નથી. જે અન્ય અદષ્ય પુરૂષોમાં ભિન્ના