________________
अनुयोगद्वारसूत्रे तदेवत् पूर्ववत् । अथ किं तत् शेषवत् ? शेषवत् पश्चविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-कार्येण, कारणेन, गुणेन, अवयवेन, आश्रयेण । अथ किं तत् कार्येण ? कार्येण-शङ्ख शब्देन, भेरी ताडितेन, वृषभं गजितेन, मयूरं के कायितेन, हयं हेषितेन, गजं गुलगुलायितेन, रथं घनघनायितेन । तदेतत् कार्येण । अथ किं तत् कारणेन ? कारणेनपुत्तं इत्यादि इसका प्राव यह है-किसी माता का पुत्र बाल्यावस्था से ही परदेश में चला गया था-रहते २ वहां वह तरुण हो गया। जष वह वापिस आया तो, उसकी मां ने उसे किसी चिह्न को देखकर पहिचान लिया। (से तं पुत्ववं) इस प्रकार यह पूर्ववत् अनुमान है। (से किं तं सेसवं) हे भदन्त शेषात् अनुमान क्या है ? (लेसवं पंचविह पण्णत) शेषवत् अनुमान पांब प्रकार का कहा गया है । (तं जहा) वे प्रकार ये हैं-(कज्जेणं कारणेणं गुणेणं अवयवेणं आसएण) कार्य, कारण, गुण अवयव, और आश्रय इन पांच से उत्पन्न हुआ अनुमान शेषवत् अनुमान है। (से कि तं कज्जेणं) कार्य से उत्पन्न हुआ शेषवत् अनुमान क्या है ? (कज्जेणं संखं सदेणं, भेरि ताडिएणं वसभं ढक्किएणं, मोरं केकाइएणं, हयं हेसिएणं गयं गुलगुलाइ. एणं, रह घणघणाइएण) कार्य से उत्पन्न हुआ शेषवत् अनुमान इस प्रकार से है जैसे-शंख के शब्द को सुनकर शंख का अनुमान करना भेरी की आवाज सुनकर मेरी का अनुमान करना, बैल का ढकित २नु अपामा मा०यु छ. (गाहा) मही' मा साथ . 'माया पुच इत्यादि' આને ભાવ આ પ્રમાણે છે. કે કેાઈ માતાનો પુત્ર બાલ્યાવસ્થામાં જ પરદેશમાં જતો રહ્યો હતે. પરદેશમાં જ તે તરૂણ થઈ ગયો. જ્યારે તે પાછો श्या त्यारे भाता बिना आधारे तने सभी बाधो (से तं पुन्ववं) मा प्रमाणे मा पूर्ववत् अनुमान छ. (से कि सेस) 8 Ra! शेषपतू अनुमान छ १ (सेसवं पंचविहं पण्णत्त) शेषवत् अनुभान पांय प्रा२नु
अपामा मान्छे . (तं जहा) ते रे। मा प्रमाणे 2. (कज्जेणं कारणेणं गुणेणं अवयवेण मासएणं) आय', २१, शुष, अवयव भने आश्रय 40 पाय 43 Grपन थयेअनुमान शेषत मनुमान छ (से कि त कज्जेणे) यथा उत्पन्न थये शेषवत् अनुमान छ ? (कज्जेण संख, सदेणं भेरि ताडिएण, वसभ ढक्किएण, मोरं, केकाइएणं, हयं हेसिएण, गयं गुलगुलाइएण, रहं घणघणाइएण) यथा त्पन्न थये शेषवत् अनुमान या प्रमाणे छ. २ શંખના શબ્દને સાંભળીને શંખનું અનુમાન કરવું ભેરીના શબ્દને સાંભળીને