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अनुयोगद्वारसूत्रे ध्यानि । तैजसकार्मणशरीराण्येषां स्वक्रियशीरवद् बोध्यानि । तथा-वैमानिका. नामौदारिकशरीराणि नैरयिकौदारिकशरीरवद् वोध्यानि । वैमानिकानां वैक्रियचाहिये । नारकियों के बद्ध आहारक शरीर नहीं होते हैं। इसलिये ज्योतिष्क देवों के भी आहारक शरीर नहीं है । मुक्त आहार कशरीरों का प्रमाण, वहां मुक्त औदारिक शरीरो के जैसा अनंत कहा गया है सो यहां पर भी इनका प्रमाण इतना ही जानना चाहिथ्थे । (तेयगकम्यसरीरा जहा एएलि चेव वेचियसरीरा तहा माणियचा) ज्योतिडकदेवो के बद्ध, मुक्त तैजस और कार्मण इन दो शरीरों का प्रमाण इनके बद्ध मुक्त क्रियशरीर के प्रमाण तुल्य कहा गया है, ऐसा जानना चाहिये । इनके बद्ध वैक्रियशरीरों का प्रमाण असंख्यात और मुक्तवैक्रियशरीरों का प्रमाण अनंत कहा गया है, उसी प्रकार से इनके बद्ध तैजसकार्मणशरीरों का प्रमोण असंख्यात और नुक्त तेजल कार्मण शरीरों का प्रमाण अनंत है । (वेमाणियाणं भंते ! केव. इया ओरालियसरी परणता ) हे भदन्त ! वैमानिक देवों के औदारिक शरीर कितने कहे गये हैं ? (गोयमा !) हे गौतम । (जहाँ नेरह. याणं तहा भाणियव्या) जिस प्रकार से नारकों के औदारिक शरीरों की प्ररूपणा की गई है उसी प्रकार से वैमानिक देवों के भी औदारिक शरीरों की प्ररूपणा समझनी चाहिये । (वेमाणियाणं भंते ! केवના૨કીઓના બદ્ધ આહારક શરીરે હતાં નથી. એટલા માટે જ્યોતિષ્ક દેના પશુ આહારક શરીરે નથી. મુકત આહારક શરીરનું પ્રમાણ ત્યાં મુકત ઔદારિક શરીરની જેમ અનંત કહેવામાં આવ્યું છે. તે અહીં પણ
मनु प्रभार मे oned नये. (वेयगकम्मयसरीरा जहा एएसिं चेव वेउब्वियसरीरा तहा भाणियवा) याति हेवाना म, भुत તેજસ અને કાશ્મણ આ બે શરીરેનું પ્રમાણ એમનાં બદ્ધમુકતક્રિય શારીરના પ્રમાણુ તુલ્ય કહેવામાં આવ્યું છે. એમ જાણવું જોઈએ, એમનાં બદ્ધક્રિય શરીરેનું પ્રમાણ અસંખ્યાત તેમજ મુકતવૈક્રિય શરીરનું પ્રમાણ અનંત કહેવામાં આવ્યું છે. આ પ્રમાણે એમના બદ્ધ તૈજસકામણ શરીરનું પ્રમાણ मस ज्यात भर भुत तra | शरीरानु प्रभार सनत छ. (वेमाणियाणं भंते केवइया ओरालियसरीरा पण्णत्ता) 3ात! वैमानिकानां मोहार शरी। 2ai अामा माव्यां छ? (गोयमा!) 3 गीतम! (जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा) २भ नाना मोहरि शरी३ नी ३५ કરવામાં આવી છે, તે પ્રમાણે જ વૈમાનિક દેના દારિક શરીરની