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________________ ____मनुयोगद्वारसूत्रे अपहियन्ते कोलता। क्षेत्रतः असंख्ययाः श्रेणया प्रवरस्य असंख्येयभागे । तत्र खल्ल.यानि तानि मुक्तानि तानि खलु अनन्तानि अनन्ताभिः उत्सपिण्यवसर्पिणीमि अपहियन्ते कालता, शेष थथा औदारिकस्य मुक्तानि तथा एतान्यपि, अणित. व्यानि । कियन्ति खलु आहारकशरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! आहारकशरीराणि जाहिं उस्तप्पिणिोसपिणीहि, अवहीरति कालओ) असंख्यात उत्सपिणि और अवसर्पिणी काल में ये व्यवस्थापित किये जा सकते हैं अर्थात् उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल के एक २ समय पर यदि ये स्थापित किये जावें तो उनके लिये असंख्यातं उत्सर्पिणी और असंख्यात अवसर्पिणी काल का समय चाहिये । यह काल की अपेक्षा बद्धवैक्रियशरीरों का प्रमाण कहा है। (खेत्तमो असंखिज्जाओ सेढीओ पयरस्त असंखेज्जाभागे) क्षेत्र की अपेक्षा पद्धवैक्रियशरीरों का प्रमाण पूर्वोक्त प्रेतर के असंख्यातवें भाग में रही हुई असंख्यात श्रेणीरूप "है। अर्थात् पूर्वोक्त प्रतर के असंख्यातवें भाग में रही हुई 'जों असं. पति श्रेणीयों है, उन श्रेणियों के नभप्रदेशों की जो राशिं है, उन राशियों की संख्या के बराबर बद्धवैक्रियशरीर है। यह क्षेत्र की अंपेक्षा बद्भवैक्रियशरीरों का प्रमाण कहा गया है । (तत्थ गंजे ते मुक्के. एलया तेणे, अणंता-अशंताहिं , उसप्पणीओसप्पिणीहि अवहीरंति कालओ सेसं जहा ओरालियस्स मुक्केल्लया तहा एए वि भाणियन्वा) • सिप्पिणीहिं वहीति कालओ) यात • GAN' भने अपपिणी * કાળમાં આ બધાં વ્યવસ્થાપિત કહી શકાય તેમ છે. એટલે કે ઉર્ષિથી . અને અવસર્પિણી કાળના એક એક સમયમાં જે એમની સ્થાપના કરવામાં : 2u. तभनाभाट सभ्यात Gral gी मन मस ध्यात..AAR કાળનો સમય જોઈએ આ કાળની અપેક્ષા બદ્ધ વૈક્રિય શરીરનું પ્રમાણ - मा०यु छे. (खेत्तओ असंखिज्जाओ सेढीओ पयरस्म असंखेज्जइभागे) ક્ષેત્રની અપેક્ષા પદ્ધ વૈક્રિયશરીરનું પ્રમાણું પૂર્વોકત પ્રતરના અસંખ્યાતમાં मा शिथत असं यात' श्रेणी ३५ छे. थेट , aisa प्रतम सस- ખ્યાતમા ભાગમાં સ્થિત છે અસંખ્યાત - શ્રેણીઓ છે, તે શ્રેણીઓના નભ:' ની જે રાશિ છે તે રાશિઓની સંખ્યાની બરાબર અદ્ધ વૈદિથશરીર છે. ना क्षेत्रना अपेक्षा म य शससनु:- प्रमाण- वाम '. (तपन जे. ते मुक्केल्लया-वेगं अगंता आणताहिं उसप्पणीओसप्पिणीहि अवही"ति कालो सेसं. जहा ओरालियस्थ मुक्केल्लयाः तहा एएवि भाणियव्य) २
SR No.040004
Book TitleAnuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages925
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Book_Gujarati, & agam_anuyogdwar
File Size147 MB
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