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.. अनुयोगबारसूत्रे कम् आकाशप्रदेशम् अपहाय यावता कालेन तत् पल्यं क्षीणं नीरजस्कं निर्लेप निष्ठितं भवति तद् व्यवहारिक क्षेत्रपल्योपमम् । एतेषां पल्यानां कोटीकीटिमवेद दशगुणिता । तद् व्यवहारिकस्य क्षेत्रसागरोपमस्य एकस्य भवेत् परिणामम् ॥१॥ एतैः व्यावहारिक क्षेत्रपल योपमसागरोपमैः किं प्रयोजनम् ?, एतैः व्यावहारिकर अप्फुत्रा, तो णं समए समए एगमेग आगासपएसं अवहाय जावाएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए, निल्लेवे, निहिए, भवइ, से तं वायहारिए खेत्तपलिओषमे) जो उस पल्य के आकाशप्रदेश उन बालानों द्वारा व्याप्त है, वहां से उन बालागों में से एक २ बालाग्र की एक एक समय में बाहर निकाले। जितने-समय-काल में-वह पल्य उन बालानों से सर्वथा रहित हो जाता है, वह व्यावहारिकक्षेत्रपल्योपम है। 'क्षीण, नीरजस्क, निलेप आदि पदों का अर्थ पहिले कहा ही जा चुका है।सो उसी प्रकार का अर्थ यहां पर इन पदों का संगत कर लेना चाहिये। (एएसि पल्लाणं कोडाकोडी भवेज्ज दसगुणिया, तं वावहारियस्स खेससागरोषमस्त, एगस्स भवे परिमाण) इन पल्यों की दशगुणित बोटिकोटी एक व्यावहारिक क्षेत्र सागरोपम का परिमाण होता है। अर्थात् १० कोटिकोटी व्यावहारिक क्षेत्र पल्पोपमों का एक व्यावहारिक क्षेत्र सागरोपम होता है। (एएहिं) इन (वावहारिएहिं) व्यावहारिक (खेसपलि भोवमसागरोवमेहिं कि पओयण) क्षेत्रपल्योपमों एवं
मागासपएसा वेहिं बालग्गेहि अप्फुन्ना, तओ समए समए एगमेगं, . पएसं विहाय जावइएण' कालेणं से पल्ले खीणे, नीरए, निल्लेवे, निदिए, भवइ, से तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे) त पक्ष्यना २ मा प्रहाशी ते વાલાઝો વડે વ્યાપ્ત છે, ત્યાંથી તે વાલાોમાંથી એક એક વાલાઝને એક સમયમાં બહાર કાઢે જેટલા સમયમાં તે પલ્ય તે વાલાશ્રોથી સર્વથા રહિત થઈ જાય છે, તે કયાવહારિક ક્ષેત્રપાપમ છે. ક્ષીણ, નીરજ, નિલેષ વગેરે પદને અર્થ પહેલાં કહેવામાં આવ્યો છે. તે અહી પણ તે
मा) अर्थ सभड व . (एएसिं पल्लाणं कोड़ा-कोड़ी भवेज इस गुणिया । तं वावहारियस्स खेत्तसागरोवमस्स, एगस्स भवे परिमाण) मा ૫૫મની દશ ગુણિત કોટિ-કોટિ એક વ્યાવહારિક ક્ષેત્ર સાગરોપમનું પરિમાણુ હોય છે. એટલે કે ૧૦ કોટિ-કેટી વ્યાવહારિક ક્ષેત્ર ૫૫મ १९१२ मे ०.818 सागरोपम डाय छे. (एएहि) मा (वावहारिपहि) ०यIR: .. (खेत्तपलिओवमसागरोवमेहि कि पओयण) क्षेत्रक्ष्यो .