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________________ अनुयोगधन्द्रिका टीका सूत्र २०८ क्षेत्रपल्योपमनिरूपणम् ३५३ णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । जे णं तस्स पल्लस्स आगास पएला तेहिं वालग्गोहि अप्फुन्ना, तओ णं समए समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निहिए भवइ, से तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे एएसि पल्लाणं कोडाकोडी भवेज दसगुणिया। तं वावहारियस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥१॥ एएंहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवमसागरोवमेहिं कि पओयणं? एएहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवमेहिं नस्थि किंचिप्पओयणं, केवलं पण्णवणा पण्णविज्जइ। से ते वावहारिए खेत्तपलिओवमे। से किं तं सुहमे खेत्तपलिओवमे? सुहमे खेत्तपलिओवमे-से जहाणामए पल्ले सिया-जोयणं आयामविक्खंभेणं जाव परिक्खेवेणं। से णं पल्ले एगाहिय बेयाहिय तेयाहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं । तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिज्जाई खंडाई कजइ। ते ण वालग्गखंडा दिदिओगाहणाओ असंखेज्जहभागमेत्ता, सुहुमस्स पणगजीवस सरीरोगाहणाओ असंखेज्जगुणा। तेणं वालग्गखंडा णो अग्गी डहेज्जा जाव णो पूइत्ताए हक्षमागच्छेज्जा । जे गं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गखंडेहिं आफुण्णा वा अणाफुण्णा वा, तओ णे समए समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीण जाव निटिए भवइ, से तं सुहुमे खेत्तपलिओवमे। तत्थ of चोयए पण्णवर्ग एवं क्याली-अस्थि णे तस्स पल्लस्स आगासपएसा जेणं तेहि अ०४५
SR No.040004
Book TitleAnuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages925
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Book_Gujarati, & agam_anuyogdwar
File Size147 MB
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