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अनुयोगद्वारसूत्रे
स्राणि । सुक्ष्मा कायिकानाम् औधिकानां पर्याप्तकानाम् अपयतिकानां त्रयाणामपि जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्त्तम्| उत्कर्षेणापि अन्तर्मुहूर्त्तम्, बादरा कायिकानां यथा औधि - कानां । अपर्याप्तकबादशष्कायिकानां जघन्येनापि अन्तर्मुहूर्त्तम्, उत्कर्षेणापि अन्तर्मुहूर्त्तम् । पर्याप्त वादराका विकानां जघन्येन अन्तर्मुहूर्ध्वम् उत्कर्षेण सप्तवर्ष
अंतर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट से ७ सात हजार वर्ष की है। (सुमकाइयाणं ओहियाणं पज्जन्तगाणं तिन्ह वि जहणेण वि अंतो मुत्त उक्कोलेण वि अतोमुत्त) अपकाधिक जीव पृथिवी : कायिक जीव की तरह दो प्रकार के होते हैं- एक सूक्ष्म अप्काथिक और दूसरे बादर अप्कायिक । ये दोनों प्रकार के जीव पर्याप्त और अपर्याप्त के भेद से दो दो प्रकार के और होते है । इसलिये सामान्यरूप से सूक्ष्म अपूकायिक जीर्षो की पर्याप्त सूक्ष्म अपकायिक जीवों की एवं अपर्याप्त सूक्ष्म अपकाधिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट दोनों प्रकार की स्थिति अंत की है। (बादर आउकाइयाणं जहा ओहियाणं) तथा जो बादर अनुकायिक जीव है, उनकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति सामान्य अकायिक जीवों के जैसी है । (अपज्जन्त्तगबायर आउकाइयाणं जहण्जेण वि अंतोमुहृत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहतं) बादर अपूकायिक जीवों में जो अपर्याप्तक बादर अप्रकायिक जीव हैं,
हत्तर वर्ष भेटली . ( सुडुम आउकाइयाण ओहियाण पज्जत्तगाण अपज्जत्तगाणं तिण्ड वि जहणेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतो महुतं) અપ્રકાયિક જીવ પૃથિવીકાયિક જીવની જેમ એ પ્રકારના હાય છે. એક સૂક્ષ્મ અપ્રકાયિક અને ખીજા ખાદર અપ્રકાયિક આ બન્ને પ્રકારના જીવા પર્યાપ્ત અને અપર્યાપ્તકના લેદથી બબ્બે પ્રકારના હાય છે. એથી સામાન્ય રૂપથી સૂક્ષ્મ અપ્રકાયિક જીવાની પર્યાપ્ત સૂક્ષ્મ અધૂકાયિક જીવેાની અને અપર્યાપ્ત સૂક્ષ્મ અપ્રકાયિક જીવેાની જઘન્ય અને ઉત્કૃષ્ટ બન્ને પ્રકારની સ્થિતિ अतभुतनी छे. (बादर आउकाइयाण जहा भोहियाणं) तेभन दे માર અપ્રકાયિક જીવે છે, તેમની જઘન્ય અને ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ સામાન્ય અષ્ઠાયિક भवभेवी ४ . ( अपज्जतग बादरआउकाइयाणं जहणेण वि अंतोमुहुतं
कोसेण वि अंतोमुहुत्तं) महर अश्रूहायिष्ठ लवोभां ने अपर्याप्त महर अधूકાયિક જીવે છે, તેમની સ્થિતિ જઘન્યથી અંતર્મુહૂ ત્તની છે અને ઉત્કૃષ્ટથી પશુ अन्तर्भुतनी छे. (पज्जत्तगबादर आडकाइयाण' जहणेण अंतो मुद्दत्तं उकोसेण सच