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अनुयोगद्वारसूत्रे तरे स्थितानाम् निरयाणां नरकायापानाम् , निरयावलीनाम् नरकावासपङ्क्तीनां, निरयमस्तटानां-तेरेकारस ना सत्त पंच तिन्नि य तहेव एको य' छाया-त्रयो दशैकादश नव सप्त पश्च त्रयस्तथैवैकश्व-इत्यादि प्रोक्तानाम् , कल्पादि विमानप्रस्तटान्ताः प्रसिद्धाः, तेषाम् , टङ्कानाम् एकादिच्छिनपर्वतानाम् , कूटानाम् रत्नकूटादीनाम्, शैलानाम्-मुण्डपर्ववानाम् , शिखरिणाम्-शिखरवतां पर्वतानाम, माग्माराणाम् ईपन्नतानां शिखरिणाम् , विजयादिवर्षधरपर्वतान्ताः प्रतीताः तेषाम् , वेलाना जलधिवेशाविषयभूमीनां तथा-वेदिकादिसमुद्रान्तानां च आयामविष्कम्भोचत्वोद्वेधपरिक्षेपा:-आयामो-देयम् विष्कम्भः विस्तारः, उच्च. उत्तर-(एएण पमाणगुलेणं पुढवीकंडाणं) इस प्रमाणांगुल से रत्नप्रभा आदि पृथिवियों के रत्नकाण्डों का, (पायालाणं) पातालकलशों का (भवणाणं) भवनपति देवों के आवासों का (भवनपत्थडाण) नरकों के प्रस्तटोंके अन्तर में स्थित भवन प्रस्तटों का (निरयाणं) नरकावासों का (निरयावलीण) नरकावासों की पंक्तियो का (निरयपत्थडाणं.) नरकों के १३, ११, ९. ७, ५, ३-१, इन प्रस्तटों का (कप्पाणं) सौधर्म
आदि कल्पों का (विमाणाण) उनके विमानों का (विमाणपत्थडाणं) विमानों के प्रस्तटो का (काण) छिन्नटंकों का, (कूडाणं) रत्नकूट आदिकों का (सेलाणं) मुण्डपर्वतों का (सिहरीण) शिखरशाली पर्वतों का (पन्भाराण) कुछ कुछ नमित पर्वतों को (विजयाणं) विजयोंका (वक्खाराण) वक्षस्कारों का (वासाणं) वर्षों का (वासहराण) वर्षधरों को (वासहरपव्ययाणं) वर्षधरपर्वतों का (वेलाणं) समुद्रतट की भूमियों का (वेड्याणं) वेदिकाओं का (दाराण) .... Gu२-(एएण पमाणगुलेण पुढवी कंडाण) मा प्रमाणातथा रत्नमा वगेरे पृथ्वीमाना २त्नांना (पायालाण) पाna शाना (भवणाण) अपनपति वेाना भावासोना (भवनपत्थंडाण) नाना प्रस्तराना तभी स्थित सन स्तन (निरयाण) ना२पासना (निरयावलीण) न२४पासनी यतमाना (नरयपत्थडाण) नरहना १३, ११, ६, ७, ५, 3, १ ॥ प्रस्तरोना (कप्पाण) सौधर्म वगेरे याना (विमाणाण) तमना विमानाना विमाणपत्थडाण) विमानाना प्रस्तराना (टंकाण') छिन्नटना (कूडाण) २नट. वगैरेता (सेलाण), भु ५'ताना (सिहरीण) शिमरशी पताना (पन्भाराण) था। 23 नमित ताना (विजयाण) वियाना (वक्खाराण:) पक्षाना (वासाण) वर्ष५२ पताना (वासहराण) वषधरोना (वासहरपब्धयाणं) १५२ ५ ताना (वेलाण') समुद्रतटनी भूभियाना (वेइयाण) वासाना (दाराण) दाराना (समुदाण) समुद्रीना (आयाम