________________
२०६
य
अनुयोगद्वारसूत्र यथा सनत्कुमारे तथा माहेन्द्रेऽपि मणि व्या । ब्रह्मलान्तायोर्भधारणीया जघ न्यन अंगुलस्य असंख्येयभागम उत्कर्षेण पश्चरलयः, उत्तरक्रिया यथा सौधर्म । महाशुक्र सहस्रारयोर्भवधारणीया जयन्येन अंगुलस्य असंख्येयभागम् उत्कर्षण चतस्रो रत्नया, उत्तरक्रिया यथा सौधर्मे । आनतपाणतारणाच्युतेषु चतुष्यपि भवजहा सोहम्मे) उत्तर विक्रियारूपशरीरावगाहना वहां सौधर्मकल्प में कहे अनुसार एक लाख योजन की है। (जहा सणंकुमारे तहा माहिंदे व भाणियम्वा) सनत्कुमार के जैसा माहेन्द्रकल्प में भी छ रत्निप्रमाण अवगाहनाजानना चाहिये। (यंभलंतगेस अवधारणिज्जा जहनेणं अंगुलस्त असंखेन्जहभागं उक्कोसेणं पंच रयणीओ) ब्रह्म और लान्तक इन दो कल्पों में भवधारणीय शरीरावगाहना जघन्य से अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण और उत्कृष्ट से पांच रत्नि प्रमाण है। (उत्तरवेउम्चिया जहा सोहम्मे) उत्तरक्रियाला शरीरावगाहना यहां पर सौधर्मकल्प के जैसी है । अर्थात् जघन्य से अगुल के संख्यातवें भाग, उत्कृष्ट से एक लाख योजन का है। (महासुसहस्सारेसु अवधारणिता जहण्णणं अंगुलस्त असंखेजइभार्ग उक्कोसेणं चत्तारि रयणी मो) महाशुक और सहस्रार इन दो कल्पों में भवधारणीय शरीरावगाहना जघन्य से अंगुल के असं. ख्यातवें भाग प्रमाग और उत्कृष्ट से चार रत्निमाण है । (उत्तर बेउब्धिया जहा सोहम्मे) तथा उत्तरवैक्रिया रूप शरीरावगाहना सौध. २न प्रमाण 2. (उत्तरउब्बिया जहा सोहम्मे) अत्तविया ३५ शरीरावा.
ना त्यां सौय ४६ २ २ दाम यातन सी छे. (जहा सर्णकुमारे तहा माहिंदे वि भाणियचा) सनमानी रेभ भन्द्र ६५मा ५९ ६ २नि प्रमाण साना तक नये. (बंभलंतगेसु भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगु. लस्स असंखेज्जइभाग उक्कोरणं पंचरयणीओ) प्रम भने aids કલપિમાં ભધારણ શરીરવગાહના જઘન્યથી અંગુલના અસંખ્યાતમાં ભાગ प्रमाण भने टथा पांय २नि प्राय छे. (उत्तरवेउब्धिया जहा सोहम्म) ઉત્તરક્રિયા ૩૫ શરીરવગાહના અહીં સૌધર્મકલ્પના જેવી છે એટલે કે જઘન્યથી અંગુલના સંખ્યામાં ભાગ ઉત્કૃષ્ટથી એક લાખ જનની છે. (महासुक्के सहस्सारेसु भवधारणिज्जा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जहभागं उकोसेणं चत्तारि रयणीओ) भाशु अ२ सहसार मा मे ८पामा अवधा૨ણીય શરીરવગાહના જઘન્યથી અંગુલના અસંખ્યાત ભાગ પ્રમાણ અને
Peथा यार २लि. प्रमाण छे. (उत्तरवेविया जहा सोहम्मे) तमगर