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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८९ उन्मानप्रमाणनिरूपणम् ................ समाणेन पत्रागुरुतगरचोयककुङ्कुमखण्डगुडमत्स्यण्डिकादीनां द्रव्याणाम् उन्मान प्रमाणनित्तिलक्षणं भवति । तदेतत् उन्मानप्रमाणम् ॥सू०.१८९॥ - टीका-से कि त' इत्यादि... अथ किं वद उन्मानम् ? उन्मानम् यत उन्मीयते तद् बोध्यम् । तुलाया धृत्वा यत् उन्मीयते-ऊर्ध्वमुत्थाप्य तोल्यते तत् उन्मानमिति भावः । इद कम साधनपक्षमधिकृत्योक्तम् । अस्योन्मानप्रमाणस्य भेदानाह-तद्यथा-अर्द्धकर्षः कर इत्यादि । तत्र-अर्धकर्षः-सर्वलघुमानविशेषः । एतेषां निष्पत्तियथा भवति तथाह'दो अद्धकरिसा करिसो' इत्यादिना 'वीसं तुलाओ भारो' इत्यन्त पदसम्हेत). : अब सूत्रकार उन्मान प्रमाण का स्वरूप निरूपण करते हैं .. - "से कि तं उम्माणे" इत्यादि। ..... . .. ।
शब्दार्थ ( से किं तं उम्माणे.) शिष्य पूछता है कि हे भदन्त ! बहू जन्मान रूप.प्रमाण क्या है ? (जपणं उम्मिणिज्जई उम्मापो) ... उत्तर-तुला-तराजू में रखकर जो वस्तु तोली जाती है वह जन्मान रूपप्रमाण है।-".यत्.. उन्मीयते तत् उन्मानम् " यह उन्मान की व्युत्पत्ति कर्मसाधन पक्ष को लेकर की गई जानना चाहिये। इसलिये इस पक्ष के अनुसार तेजपत्र आदि सब उन्मान प्रमाण में मृहीत होते हैं। (तंजहा) इस उन्मान- प्रमाण के भेद इस प्रकार हैं-(अद्धकारको अर्धकर्ष यह सब से छोटा प्रमाण है । (कस्सिो ) कर्ष, (अद्धपलं) अ. पल, (पलं) पल, (अद्धतुला, तुला) अर्धतुला, तुला, (अद्धभारो भारी अर्द्धभार, भार इन पूर्वोक्त प्रमाणों की निष्पत्ति इस मकार से होती
वे सूत्रा२मान प्रभाता १३५नु नि३पाय रे छ. "से कि उम्माणे त्याह-
पई शाय-(से कि त उम्माणे) शिष्य शरे dra मान ३५ प्रमाण शुछ १ (जण्ण उम्मिणिज्जई उम्माणे.) * ઉત્તર-વાજવામાં મૂકીને જે વસ્તુ ખવામાં આવે છે તે ઉન્માન રૂપ प्रभा छे. 'यत् उन्मीयते ततू "उन्मोनम्' मो 6भाननी व्युत्पत्ति में સાધનં પક્ષના આધારે કરવામાં આવી છે. એથી જ આ મુજબ તેજપત્ર વગેરે સર્વ
मान प्रभाथी सही थाय छे. (तंजहा). G-माने प्रभावना प्रा। मा प्रमाणे -(अद्ध करिसो) ४, मा सो ४२ai लघु अभा . (करिसो) ३५, (अद्वपलं) Arya, (पलं) ५a, (अद्भुतुला तुला) AATEIGal, (सद्धभारो भारो) -AIR, AIR RA! पूर्व प्रमाना निश्पत्तिमा अभाव
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