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बोगवन्द्रिन टीका सूत्र ११९ अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वीनिरूपणम् ५१३ नसार, मंगोपदर्शनता३, समवतार!४, अनुगमः ५ । अथ का सा संग्रहस्य अर्थपद. पागता ? संग्रहस्य अर्थपदमरूपणता-त्रिप्रदेशावगाह आनुपूर्वी, चतुष्पदेशावगाडमानपूर्ती, यावद् दशमदेशावगाढ जानुपूर्वी, संख्येयप्रदेशावगाढ आनुपूर्वी,
उत्तर-(संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी पंचविही पण्णत्ता) संवहनयमान्य अनोपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी पांच प्रकार की कही गई है। (तं जहा) उसके वे प्रकार ये हैं-(अस्थपयारूवणया) १ अर्थपदप्ररूप. णता ( भंगसमुकित्तगया)२ भंगममुत्कीर्तनता (भंगोवदंसणया)३ मंगोपदर्शनता ( समोयारे ) ४ समवतार (अणुगमे) और अनुगम ।
प्रश्न-(से किं तं संगहस्स अस्थपयपरूक्षणया) संग्रहनय मान्य अर्थपदप्ररूपणता क्या है ?
उत्तर (संगहस्स अस्यपयपरूवणया) संग्रहनयमान्य अर्थपदप्ररूपणता इस प्रकार से है-(तिप्पएसोगाढे आणुपुव्वी) तीन प्रदेश में अवगावस्थित-त्र्यणुक आदि द्रव्य आनुपूर्वी है ( चउप्पएसोगाढे आणुपुथ्वी) चार प्रदेशों में अवगाढ चतुरणुक आदि आनुपूर्वी है
(जाव दसपएसोगाढे आणुपुव्वी) यावत् दशप्रदेशावगाट ग्य आनुपूर्वी है (संखिज्जपएसोगाढे आणुपुव्वी) संख्यात प्रदेशावगार म्य आनुपूर्वी है। (असंखिज्जपएसोगाढे आणुपुव्वी) असंख्यात प्रदे.
त्ति:-(संगहस्स अणोरणिहिया खेसाणुपुवी पंचविहा पण्णता) समनय सभत मनोपनित्रिनुपूर्वा पाय प्रानीही छे. (संजहा) तारे। नाये प्रभारी -(अत्थपयपरूवणया) (१) अर्थ ५६५३५यता, (भंगसमुकिसणया) (२) समुहीत नता, (भंगोवदंसणया) (8) पशिनता, (समोयारे) (४) सभवता२ भने (अणुगमे) (५) अनुगम.
प्रश्न-(संगहरस अत्थपयपहवणया ?) सनयमान्य अ५४५३५६तानु ९१३५ छ ?
उत्तर-(संगहस्स अत्यपयपरूवणया) सहनयमान्य अ५४५३५५ता था २नी 8-(तिपएसोगाढे आणुपुव्वी) त्रए प्रदेशमा अपार (२४) १९ मावाणु द्रव्य भानुभूपी ३५ है, (चउप्पएस्रोगाढे पाणुपुव्वी) या२ प्रदेशमा
10 या२ भाद्र०५ ५ भानुकी , (जाव दस पएसोगाढे आण. पुब्बी) ४० पर्यन्तना प्रदेशमा अ५८ द्र०य मानुषी छ, (संखिज्जपएमोगाढे आणुपुवी) सयात प्रशामा अ न्य भानुका छ, (असं. खिन्नपएसोगाढे आणुपुव्वी) अने अभ्यात प्रदेशमा १ ०५ पर