________________ समय-संकेत जिनचंद्र का ग्यारहवीं सदी की उत्तरार्ध से बारहवीं सदी के पूर्वार्ध तक रहा है। इनकी लिखी ‘संवेगरंगशाला' कृति सं. 1125 की है। उसी के आधार पर ये समय-संकेत किया गया है। ( इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /153